उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर से चारधाम यात्रा में जोखिम का अंदाजा नागरिक उड्डयन सुरक्षा की रिपोर्ट से लगाया जा सकता है। सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट से चारधाम के लिए एटीसी सिस्टम नहीं है। विजुअल फ्लाइट रूल्स का पालन नहीं होता क्योंकि मौसम विभाग का डापलर रडार नहीं है। पायलट व्हाट्सएप पर मौसम की जानकारी साझा करते हैं।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर से चारधाम यात्रा करना कितना जोखिम भरा हो सकता है, इसका अंदाजा पिछले साल नागरिक उड्डयन सुरक्षा से जुड़ी एजेंसी की एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है।
इस रिपोर्ट की प्रति दैनिक जागरण के पास है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि उत्तराखंड की सहस्त्रधारा हेलीपोर्ट से चारधाम को उड़ने वाले हेलीकॉप्टर के लिए अपना एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम नहीं है।
विजुअल फ्लाइट रूल्स का नहीं होता पालन
ये हेलीकॉप्टर अपनी उड़ान में विजुअल फ्लाइट रूल्स (वीएफआर) का पालन भी नहीं करते हैं। मौसम की गहन जानकारी भी इस रूट पर उड़ने वाले पायलट को नहीं होती है, क्योंकि चारधाम के स्थान पर भारतीय मौसम विभाग की तरफ से डापलर रडार नहीं लगाया गया है। यह रडार मौसम की सूक्ष्म-गहन जानकारी प्रदान करते हैं। इन रूट पर उड़ान भरने वाले पायलट वाट्सएप पर मौसम की जानकारी साझा करते हैं।
15 जून तक चारधाम रूट पर पांच दुर्घटनाएं
- मार्टिन कंसल्टिंग के संस्थापक एवं सीईओ मार्क मार्टिन कहते हैं कि धार्मिक जगहों पर इस प्रकार की हेलीकाप्टर सेवा जुगाड़ से नहीं चल सकती है और इसका ही नतीजा है कि दो साल में दर्जन भर दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इस साल आठ मई से लेकर 15 जून तक चारधाम रूट पर पांच दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई।
- गत आठ मई को गंगोत्री मार्ग पर, 12 मई को बद्रीनाथ हेलीपैड, 17 मई को केदारनाथ क्षेत्र, सात जून को रुद्रप्रयाग के पास बड़ासू क्षेत्र में तो गत 15 जून को केदारनाथ से सटे गौरीकुंड के पास हेलीकाप्टर दुर्घटना हुई जिसमें पायलट समेत सात लोगों की जान चली गई। मार्टिन की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगभग सभी एयर रूट पर वीएफआर का पालन होता है।
- वीएफआर के तहत पायलट को उड़ान की इजाजत तभी दी जाती है जब आसमान बिल्कुल साफ होता है और पायलट जमीन और उन चिन्हों व स्थानों को साफ तौर पर देख सकता है जहां उसे उतरना है ताकि रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा से बचा जा सके। लेकिन मार्क के मुताबिक चारधाम के रूट पर वीएफआर प्रणाली है ही नहीं।
तय मानकों का भी पालन नहीं करती कंपनियां
उन्होंने सुरक्षा के लिहाज से यहां के रूट के मार्गदर्शन से जुड़ी प्रणाली को बदलने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूसीएडीए) के निदेशक (सुरक्षा) एवं अन्य प्रबंधकीय अधिकारियों के साथ हेलिकॉप्टर सेवा देने वाली निजी कंपनियों के प्रबंधन से भी विचार-विमर्श किया गया था।
मार्क कहते हैं कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल नहीं होने से भी काफी परेशानी है, क्योंकि केदारनाथ में अगर पायलट को दिक्कत आती है तो वह वहां किसको सूचित करेगा। नागरिक उड्डयन सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक चारधाम यात्रा पर हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनियां नागर विमानन महानिदेशालय की तरफ से तय मानकों का भी पालन नहीं करती हैं। वे तय सीमा से अधिक चक्कर लगाती हैं। हेलीकॉप्टर में यात्री को बैठाने में भी संख्या संबंधी नियम का पालन नहीं किया जाता है।