इंदौर। नगर निगम इंदौर एक बार फिर करोड़ों रुपये के निर्माण कार्य को लेकर सवालों के घेरे में है। विश्राम बाग में करीब 9 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया स्विमिंग पूल अब सुविधा नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और लापरवाही की मिसाल बनता जा रहा है। जिस पूल को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड बताकर शहर की उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया, वह न तो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के योग्य निकला और न ही आम लोगों के तैराकी अभ्यास के काम का साबित हुआ।
जानकारी के मुताबिक स्विमिंग पूल का निर्माण तय तकनीकी मानकों और वास्तविक पैरामीटर को नजरअंदाज कर किया गया। शुरुआत में इसे सिर्फ 6.5 फीट गहराई का बनाया गया, लेकिन बाद में डिजाइन में खामी सामने आने पर उसी पूल को तोड़कर करीब 20 फीट तक खुदाई कर दी गई। इस पूरे बदलाव में फिर से करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए, जिससे साफ है कि योजना बनाने से लेकर निगरानी तक हर स्तर पर भारी चूक हुई।
नगर निगम ने इस प्रोजेक्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बताकर प्रचारित किया, लेकिन विशेषज्ञों की राय ने इन दावों की पोल खोल दी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस स्विमिंग पूल में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा कराना तो दूर, यहां सुरक्षित तरीके से तैराकी सीखना भी मुश्किल है। गहराई, लेन, स्ट्रक्चर और सेफ्टी मानकों में गंभीर खामियां सामने आई हैं।
सबसे हैरानी की बात यह है कि इंदौर नगर निगम पिछले करीब दस सालों से इंटरनेशनल स्विमिंग पूल बनाने के दावे करता आ रहा है, लेकिन हर बार नतीजा वही रहा—नई योजना, नया बजट और करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद शून्य उपलब्धि।
अब बड़ा सवाल यह है कि 9 करोड़ रुपये की इस रकम की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा। गलत डिजाइन को मंजूरी देने वाले अधिकारी कौन थे और मानकों की अनदेखी कर निर्माण करने वालों पर क्या कार्रवाई होगी। जनता के टैक्स के पैसों से बने इस स्विमिंग पूल ने एक बार फिर नगर निगम की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

