पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, सियासत का पारा चढ़ता जा रहा है। इस बार सबसे ज़्यादा चर्चा में है महुआ विधानसभा सीट, जहां होने जा रही है एक बेहद दिलचस्प और पारिवारिक भिड़ंत — लालू प्रसाद यादव के बेटे तेज प्रताप यादव के मुकाबले में खड़े हैं आरजेडी के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन।
आरजेडी ने महुआ सीट से फिर एक बार भरोसा जताया है अपने वर्तमान विधायक मुकेश रोशन पर। लेकिन इसी सीट से जब तेज प्रताप यादव ने चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान किया — तो सियासी गलियारों में हलचल मच गई। क्योंकि यह मुकाबला सिर्फ दो नेताओं का नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर की राजनीतिक रणनीति का भी इम्तिहान माना जा रहा है।
मुकेश रोशन, जो पेशे से डॉक्टर हैं, अब राजनीति के भी डॉक्टर बन चुके हैं। 12 मई 1985 को हाजीपुर में जन्मे मुकेश ने पटना के बुद्धा इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज एंड हॉस्पिटल से बीडीएस की डिग्री ली और डॉक्टर के रूप में सफल करियर बनाया। लेकिन उनका दिल हमेशा राजनीति की धड़कन से जुड़ा रहा। वे खुद को आरजेडी का सच्चा सिपाही मानते हैं और जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए लगातार सक्रिय रहे हैं।
2020 के चुनाव में उन्होंने महुआ सीट से पहली बार किस्मत आजमाई — और धमाकेदार जीत दर्ज की। उन्हें मिले थे 62,580 वोट, जबकि जेडीयू प्रत्याशी आशमां परवीन को मिले थे 48,893 वोट। इसी जीत के साथ मुकेश रोशन ने विधानसभा में एंट्री की और पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताते हुए फिर टिकट दिया है।
दूसरी ओर, तेज प्रताप यादव के लिए महुआ कोई नई ज़मीन नहीं है। 2015 में वे इसी सीट से पहली बार विधायक बने थे, लेकिन 2020 में उन्होंने हसनपुर से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। अब वे फिर अपने पुराने मैदान महुआ में लौट आए हैं — जहां उनका सामना होगा अपने ही पार्टी के मौजूदा विधायक से।
मुकेश रोशन का परिवार भी राजनीति से गहराई से जुड़ा रहा है। उनके चाचा विष्णुदेव राय, आरजेडी से एमएलसी रह चुके हैं। एक अन्य चाचा राघोपुर से चुनाव लड़ चुके हैं और परिवार लालू यादव के काफी करीब माना जाता है। लेकिन राजनीति ने उन्हें दर्द भी दिया — जब 1993 में उनके पिता स्वर्गीय रामदेवन राय की राजनीतिक रंजिश में हत्या कर दी गई थी, उस वक्त मुकेश मात्र आठ साल के थे।
अब वही मुकेश रोशन अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए मैदान में हैं — और इस बार उनकी राह में खड़े हैं लालू यादव के बेटे तेज प्रताप।
कह सकते हैं, महुआ का यह चुनाव महज़ एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि आरजेडी की साख, परिवार की एकजुटता और नई पीढ़ी की राजनीति का असली इम्तिहान बनने जा रहा है।

