बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक गलियारों में बयानबाज़ी का दौर भी तेज़ हो गया है। इसी बीच आरा से एक दिलचस्प वाकया सामने आया, जहां भाकपा (माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने ही बयान में उलझते नजर आए।
दरअसल, मंगलवार को आरा स्थित माले कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान दीपांकर भट्टाचार्य ने केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह के एक बयान का समर्थन कर दिया। आर.के. सिंह ने कहा था कि “अपराधी प्रवृत्ति के उम्मीदवारों को जनता को वोट नहीं देना चाहिए।” इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपांकर ने कहा — “लोकतंत्र में ऐसे लोगों से दूरी बनाना जरूरी है, जो राजनीति को अपराध के रास्ते से संचालित करते हैं।”
लेकिन जैसे ही पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि क्या यह टिप्पणी महागठबंधन के उम्मीदवारों पर भी लागू होती है, दीपांकर ने मुस्कुराते हुए सवाल को टाल दिया और तुरंत विषय बदल दिया। इस पर वहां मौजूद मीडिया कर्मियों में हलचल मच गई।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि भोजपुर जिले की तीन विधानसभा सीटों पर इस बार माले के उम्मीदवार मैदान में हैं। पार्टी जनता के बीच रोजगार, शिक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे बुनियादी मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। दीपांकर ने कहा — “भोजपुर हमेशा जनसंघर्ष की धरती रही है, और इस बार भी जनता माले पर भरोसा जताएगी। यह चुनाव भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ जनमत का प्रतीक बनेगा।”
हालांकि जब उनसे महागठबंधन के दागी उम्मीदवारों पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। इस पर विरोधी दलों ने तंज कसते हुए कहा कि “जब माले खुद नैतिक राजनीति की बात करती है, तो उसे सभी गठबंधनों के दागी नेताओं पर समान रूप से बोलना चाहिए।”
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में माले के कार्यकर्ता मौजूद थे, और दीपांकर के हर बयान पर तालियां गूंज रही थीं। लेकिन प्रेस वार्ता के बाद राजनीतिक हलकों में यही चर्चा रही — क्या दीपांकर भट्टाचार्य ने सुविधाजनक चुप्पी साध ली, या यह सिर्फ एक रणनीतिक मौन था?

