छठ पूजा का पावन दूसरा दिन — खरना, गृह मंत्री अमित शाह ने दी शुभकामनाएं

Chhath Kharna 2025: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की पवित्र शुरुआत हो चुकी है। आज यानी 26 अक्टूबर को व्रत का दूसरा दिन खरना मनाया जा रहा है — एक ऐसा दिन जो इस महापर्व का सबसे अहम पड़ाव माना जाता है। खरना के साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इस मौके पर देशभर में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत माहौल देखने को मिल रहा है।

इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी देशवासियों को खरना की शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा — “छठ पूजा में ‘खरना’ का अत्यंत पावन महत्व है। ‘खरना’ से ही छठी मैया के व्रत, उपासना और आराधना की शुरुआत होती है। यह पावन अवसर आप सभी के जीवन में कल्याण का माध्यम बने।”

छठ के दूसरे दिन मनाया जाने वाला खरना आत्मसंयम, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन व्रती अपने मन, वचन और कर्म को शुद्ध करते हैं ताकि आने वाले दो दिनों — सांझ अर्घ्य और भोर अर्घ्य — के लिए वे पूरी तरह तैयार हो सकें।

खरना के प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है। इसमें गुड़ की खीर और गेहूं के आटे की रोटी (सोहारी) बनाई जाती है। गुड़ की खीर मिठास, संतोष और शुद्धता का प्रतीक मानी जाती है, जबकि सोहारी रोटी मेहनत, साधना और भक्ति का प्रतीक है। यह प्रसाद मिट्टी, पीतल या कांसे के बर्तन में ही तैयार किया जाता है ताकि उसकी पवित्रता बनी रहे।

शाम के समय जब सूर्य देव अस्त होते हैं, तब व्रती सबसे पहले सूर्य देवता और छठी मैया को यह प्रसाद अर्पित करते हैं। उसके बाद स्वयं ग्रहण करते हैं। यहीं से शुरू होता है 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास, जिसमें व्रती न अन्न लेते हैं, न जल ग्रहण करते हैं — सिर्फ भक्ति और आत्मबल के सहारे यह तप पूरा करते हैं।

खरना को केवल पूजा का दिन नहीं, बल्कि आत्मसंयम और आस्था का पर्व कहा जाता है। यही दिन छठ व्रत की उस साधना की शुरुआत है जो सूर्य उपासना की परंपरा को चार दिनों तक जीवित रखती है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि मानव जीवन में शुद्धता, संयम और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का संदेश भी देता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *