‘पद पर बने रहने लायक नहीं जस्टिस वर्मा’, जांच कमेटी ने आरोपों को पाया सही; 64 पन्नों की सौंपी रिपोर्ट

सरकारी आवास में बड़ी मात्रा में नगदी मिलने के आरोपों का सामना कर रहे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के लिए मुश्किलों का सफर शुरू होने वाला है। तीन न्यायाधीशों की जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच करने के बाद पाया कि आरोपों में दम है और कदाचार साबित होता है।

कमेटी का मानना है कि जस्टिस वर्मा पद पर बने रहने के लायक नहीं है। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा पर लगे आरोप गंभीर हैं और उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है।

सरकारी आवास में लगी थी आग

जस्टिस वर्मा जब दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे तब 14 मार्च की रात उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास में आग लग गई थी और आग बुझाने के दौरान उनके घर के स्टोर रूम से बड़ी मात्रा में जले हुए नोटों की गड्डियां मिली थीं, जिसके बाद तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने नगदी मिलने के मामले की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की एक कमेटी बनाई थी।

इस जांच कमेटी ने 10 दिन तक जांच करने और 55 गवाहों का परीक्षण करने व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को जांचने के बाद पाया कि जस्टिस वर्मा पर कदाचार साबित होता है। आरोप सामने आने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा से न्यायिक कामकाज वापस ले लिया गया था और उनका दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरण कर दिया गया था। अभी वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश है लेकिन न्यायिक कामकाज से विरत हैं।

64 पन्नों की रिपोर्ट आई सामने

  • जस्टिस वर्मा ने यह प्रकरण सामने आने के बाद खुद को निर्दोष बताते हुए मामले को साजिश बताया था। तीन न्यायाधीशों शील नागू, जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस अनु शिवरामन की कमेटी ने अपनी 64 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास 30 तुगलक क्रिसेंट का स्टोर रूम जहां नगदी पाई गई थी, जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के नियंत्रण में था।
  • मौजूद साक्ष्यों के आधार पर साबित होता है कि बरामद हुई जली हुई नगदी को 15 मार्च 2025 की सुबह तड़के वहां से हटा दिया गया था। रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि रिकॉर्ड पर मौजूद प्रत्यक्ष और इलेक्ट्रानिक सबूतों को देखते हुए कमेटी का मानना है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना) के 22 मार्च 2025 के पत्र में बताए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *