पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सबसे चर्चित और हाई-वोल्टेज सीट बन चुकी है — राघोपुर।
लगभग साढ़े तीन लाख मतदाताओं वाला यह इलाका सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि बिहार की सत्ता की असली चाबी माना जाता है।
और इस बार, महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव तीसरी बार इसी सीट से अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं।
राघोपुर का राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है।
यही वह सीट है, जहां से 1995 में लालू प्रसाद यादव और 2000 में राबड़ी देवी ने विधानसभा तक का सफर तय किया था।
अब उसी विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं तेजस्वी यादव।
नामांकन के वक्त उन्होंने कहा था —
“यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि बिहार को नई दिशा देने का मौका है।”
उन्होंने जनता से वादा किया कि अगर मौका मिला, तो युवाओं के रोजगार, शिक्षा और सुशासन की नई शुरुआत की जाएगी।
राघोपुर में यादव मतदाता हमेशा से चुनावी समीकरणों की धुरी रहे हैं।
कहा जाता है कि इस सीट पर बिना यादव वोट के जीत लगभग असंभव है।
यही वजह है कि महागठबंधन की पूरी रणनीति यादव वोट बैंक को एकजुट रखने पर केंद्रित है।
वहीं, मैदान में भाजपा के उम्मीदवार सतीश कुमार भी पूरी ताकत से डटे हैं —
वही सतीश कुमार जिन्होंने 2010 में राबड़ी देवी को हराकर सबको चौंका दिया था।
उनका कहना है कि तेजस्वी यादव ने दो बार उपमुख्यमंत्री रहते हुए भी राघोपुर के विकास की तरफ ध्यान नहीं दिया।
सतीश कुमार का कहना है —
“राघोपुर वीआईपी सीट जरूर है, लेकिन यहां की जनता को कभी इसका फायदा नहीं मिला।”
इस बार वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बना रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार राघोपुर की जंग पूरी तरह तेजस्वी यादव और सतीश कुमार के बीच सिमट चुकी है।
हालांकि जन सुराज पार्टी के चंचल सिंह सहित 11 और उम्मीदवार भी मैदान में हैं,
लेकिन मुकाबला दो दिग्गजों के बीच ही देखने को मिल रहा है।
बिहार की राजनीति में राघोपुर हमेशा सत्ता का समीकरण तय करने वाली सीट रही है —
और इस बार भी लग रहा है कि 2025 की सत्ता की चाबी यहीं से निकलेगी।

