Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में मचा है बड़ा बवाल।
अनुशासनहीनता के आरोपों पर पार्टी ने 27 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
आरोप ये कि इन नेताओं ने पार्टी समर्थित उम्मीदवारों के खिलाफ निर्दलीय मैदान में उतरने या विरोधियों का समर्थन करने की हिम्मत दिखाई।
निष्कासित नेताओं में सबसे चर्चित नाम है सीतामढ़ी की रितु जायसवाल का।
उनके साथ गोविंदपुर के पूर्व विधायक मो. कामरान और चिरैया के अच्छेलाल यादव जैसे पुराने नेताओं को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।
पार्टी से निकाले जाने के बाद रितु जायसवाल ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखते हुए आरजेडी नेतृत्व पर करारा वार किया।
उन्होंने लिखा — “कल पार्टी ने परिहार से मुझे, गोविंदपुर से मो. कामरान जी को, चिरैया से अच्छेलाल यादव जी को और कई अन्य जमीनी कार्यकर्ताओं को छह साल के लिए बाहर कर दिया। वजह बताई गई कि हमने पार्टी समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा या किसी और को समर्थन दिया।”
इसके बाद रितु ने सवाल उठाया —
“चलिए मान लिया कि मैं बागी हो गई, लेकिन मो. कामरान जी का अपराध क्या था?
एक शांत, निष्ठावान नेता, जो विधायक रहते हुए भी पार्टी के कोषाध्यक्ष थे — उनका टिकट क्यों काटा गया?”
यहीं नहीं रुकीं रितु जायसवाल। उन्होंने आरजेडी पर ‘दो मापदंड’ और परिवारवाद का आरोप लगाते हुए लिखा —
“2020 में जब रामचंद्र पूर्वे जी ने एमएलसी रहते हुए परिहार में पार्टी विरोधी काम किया था, तब पार्टी का अनुशासन कहाँ था?
अगर तब उन्हें छह साल के लिए बाहर किया गया होता, तो क्या 2025 में उनके परिवार को टिकट मिल पाता?”
उन्होंने कहा — “स्पष्ट है कि पार्टी में दो नियम हैं —
एक परिवारों के लिए, और दूसरा आम कार्यकर्ताओं के लिए।”
रितु जायसवाल ने ये भी कहा कि वे पार्टी के फैसले से निराश हैं, लेकिन जनता के मुद्दों पर अपनी लड़ाई जारी रखेंगी।
उन्होंने लिखा — “अगर परिहार से किसी जमीनी कार्यकर्ता को टिकट मिला होता, तो मैं उसे दिल से समर्थन देती।
लेकिन जो जनता के बीच नहीं, सिर्फ ‘परिवार परिक्रमा’ करता है — उसे इनाम में टिकट दे दिया गया।
यह दोहरा मापदंड परिहार की जनता को मंज़ूर नहीं।”
पोस्ट के अंत में रितु जायसवाल ने अपने अंदाज़ में एक सियासी चेतावनी दी —
“11 नवंबर को परिहार की जनता सीटी बजाकर अपनी आवाज पूरे बिहार को सुनाएगी।” 🎙️🔥
बिहार की सियासत में ये बयान एक नए तूफ़ान की दस्तक माना जा रहा है —
जहाँ एक तरफ RJD परिवारवाद के आरोपों से जूझ रही है, वहीं रितु जायसवाल अब खुद को जनता की आवाज़ बताकर
“जन बनाम परिवार” की जंग में उतर चुकी हैं।

