राघोपुर विधानसभा में बीजेपी ने बढ़ाया दांव: राकेश रोशन लोजपा छोड़कर भाजपा में शामिल, एनडीए की जीत को पुख्ता करने की तैयारी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब पूरी तरह गर्मा चुका है — और इस बार राघोपुर विधानसभा एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां सीधा मुकाबला है तेजस्वी यादव और एनडीए उम्मीदवार सतीश कुमार के बीच। लेकिन इस हाईप्रोफाइल सीट पर अब बीजेपी ने एक बड़ा दांव खेल दिया है।

आज राघोपुर में राजनीतिक समीकरण अचानक बदल गया, जब लोजपा के पूर्व नेता राकेश रोशन ने बीजेपी का दामन थाम लिया। राकेश रोशन, जो 2020 में लोजपा के टिकट पर इसी सीट से चुनाव लड़ चुके थे, अब एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी में शामिल हो गए हैं। पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें सदस्यता दिलाई और कहा कि यह कदम राघोपुर में एनडीए की स्थिति को और मजबूत करेगा। उन्होंने दावा किया — “हम पूरी ताकत से मैदान में हैं, राघोपुर में एनडीए की जीत तय है।”

बीजेपी अब चुनावी मैदान में पूरी रणनीति के साथ उतरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बिहार में कई जनसभाओं को संबोधित करेंगे — आरा, बक्सर और नवादा जैसे जिलों में उनकी बड़ी रैलियां तय हैं। इसके अलावा, मोदी एक विशेष रोड शो भी करेंगे — रामधारी सिंह दिनकर चौक से लेकर गांधी मैदान तक, जहां वे जनता से सीधे संवाद करेंगे और एनडीए के उम्मीदवारों के समर्थन में वोट की अपील करेंगे।

यही नहीं, 4 नवंबर को प्रधानमंत्री महिलाओं के साथ सीधा संवाद करेंगे। यह संवाद ऑडियो के माध्यम से होगा, जिसमें वे महिलाओं से एनडीए की नीतियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर बात करेंगे। इसका उद्देश्य है — महिलाओं को राजनीतिक रूप से जागरूक करना और उन्हें यह महसूस कराना कि राज्य के विकास में उनकी भागीदारी कितनी अहम है।

राघोपुर की बात करें तो यहां मुकाबला इस बार बेहद दिलचस्प होने वाला है। एक तरफ तेजस्वी यादव का प्रभाव और दूसरी तरफ एनडीए की रणनीतिक तैयारी — दोनों ने ही इस सीट को बिहार चुनाव का सबसे चर्चित युद्धक्षेत्र बना दिया है।

बीजेपी की कोशिश साफ है — स्थानीय नेताओं को साथ जोड़कर, संगठन को मजबूत करके और प्रधानमंत्री की लोकप्रियता का सहारा लेकर राघोपुर की लड़ाई को अपने पक्ष में किया जाए। अब देखना ये होगा कि राकेश रोशन जैसे स्थानीय चेहरों के जुड़ने और मोदी फैक्टर के चलते क्या वाकई एनडीए राघोपुर में इतिहास रच पाता है या नहीं।

एक बात तय है — इस बार राघोपुर की लड़ाई सिर्फ एक सीट की नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिष्ठा और भविष्य की दिशा तय करने वाली टक्कर बन चुकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *