बिहार की सियासत में एक और बड़ा मोड़ आ गया है।
पहले चरण के मतदान से ठीक पहले, मोकामा की राजनीति में हलचल मच गई है — क्योंकि आधी रात को पटना पुलिस ने पूर्व विधायक और बाहुबली नेता अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है।
यह गिरफ्तारी दुलारचंद यादव हत्याकांड के सिलसिले में हुई है, और दिलचस्प बात ये है कि अनंत सिंह इस बार जेडीयू के टिकट पर मोकामा से चुनाव लड़ रहे थे।
मतलब साफ है — अब यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि मोकामा की चुनावी दिशा बदल देने वाला कदम बन चुका है।
गिरफ्तारी के कुछ घंटे बाद ही अनंत सिंह की पहली प्रतिक्रिया भी सामने आ गई।
उनके आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक छोटा वीडियो पोस्ट किया गया है, जिसमें पुलिस उन्हें हिरासत में लेकर जा रही है।
वीडियो के कैप्शन में सिर्फ एक लाइन लिखी है —
“सत्यमेव जयते!! मुझे मोकामा की जनता पर पूरा भरोसा है!! अब चुनाव मोकामा की जनता लड़ेगी!”
बस, यही लाइन अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है।
स्पष्ट है कि अनंत सिंह खुद को राजनीतिक साजिश का शिकार बता रहे हैं और अपने समर्थकों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।
ये पूरा मामला 30 अक्टूबर की उस हिंसक घटना से जुड़ा है जिसने मोकामा की फिज़ा बदल दी।
चुनाव प्रचार के दौरान जन सुराज पार्टी और जेडीयू समर्थकों के बीच झड़प हुई, और फिर देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए।
पथराव, फायरिंग, और अफरा-तफरी — इस हिंसा में कई लोग घायल हुए और 75 वर्षीय जन सुराज कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की मौत हो गई।
इस वारदात के बाद इलाके में तनाव फैल गया और प्रशासन को भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा।
पटना डीएम डॉ. थियागराजन एसएम ने बयान दिया कि अब हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं, और चेतावनी दी —
“जो भी व्यक्ति चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”
दरअसल, मोकामा की पहचान हमेशा से ही बाहुबलियों के गढ़ के रूप में रही है।
यहाँ के राजनीतिक इतिहास में अनंत सिंह, उनके भाई दिलीप सिंह और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह जैसे नाम हमेशा से असरदार रहे हैं।
और इस बार भी मुकाबला बेहद दिलचस्प है —
एक तरफ जेडीयू के अनंत सिंह, तो दूसरी तरफ आरजेडी की वीणा देवी, जो सूरजभान सिंह की पत्नी हैं।
दोनों ही भूमिहार समाज से आते हैं, जिससे ये मुकाबला न सिर्फ सियासी बल्कि सामाजिक प्रतिष्ठा की लड़ाई भी बन गया है।
मोकामा में मतदान 6 नवंबर को होना है।
मतलब — अब वक्त बहुत कम है, लेकिन कहानी पूरी तरह बदल चुकी है।
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद अब सवाल यही है —
क्या जेडीयू की ये सीट संभल पाएगी, या अनंत की गैरमौजूदगी में मोकामा की जनता सच में “अपना चुनाव खुद लड़ेगी”?

