पटना। बिहार की सियासत में बयानबाजी को लेकर इस वक्त जबरदस्त हलचल मची हुई है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के सीनियर नेता राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने अपने बयान पर दर्ज एफआईआर को लेकर बड़ा पलटवार किया है। ललन सिंह ने साफ कहा कि उनके बयान को राजद ने तोड़-मरोड़कर पेश किया है ताकि लोगों को गुमराह किया जा सके और माहौल को भड़काया जा सके। उन्होंने कहा कि वह चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था का सम्मान करते हैं और उन्होंने कभी भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया जो आयोग या लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ हो।
पत्रकारों से बातचीत में ललन सिंह ने कहा — “जिस वीडियो की बात की जा रही है, अगर कोई उसे पूरा सुनेगा तो सच्चाई खुद सामने आ जाएगी।” उन्होंने बताया कि जिस गांव का वह वीडियो है, वहां राजद के एक दबंग नेता रहते हैं जो गरीबों को डराकर मतदान केंद्र जाने से रोकते हैं। “मैंने सिर्फ इतना कहा था कि अगर ऐसे नेता गरीबों को धमकाएं, तो गांव के लोग उन्हें रोकें ताकि हर गरीब निर्भय होकर वोट डाल सके।” उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मकसद किसी को उकसाना नहीं, बल्कि गरीबों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना था।
ललन सिंह ने कहा कि विपक्ष जानबूझकर उनकी बातों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहा है ताकि चुनावी माहौल को बिगाड़ा जा सके। उन्होंने कहा — “हम सब चुनाव आयोग का पूरा सम्मान करते हैं। मैं खुद लोकतंत्र और कानून की मर्यादा में विश्वास करता हूं। मेरा संदेश सिर्फ इतना था कि गरीबों को डराने वाले किसी भी नेता को जनता जवाब दे।”
बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर ललन सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर राजद ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी, और बाद में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। राजद का आरोप था कि ललन सिंह ने चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला बयान दिया है। हालांकि जेडीयू का कहना है कि वीडियो को आधे में काटकर सोशल मीडिया पर चलाया गया, जिससे उसका असली संदर्भ पूरी तरह बदल गया।
अब सवाल यही है — क्या यह मामला सच में लोकतंत्र के सम्मान का है या फिर सियासी खेल का नया मोड़? सच्चाई जो भी हो, बिहार की राजनीति में इसका असर चुनावी मैदान तक जरूर दिखाई देगा।

