Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रहा है, वैसे-वैसे सियासी समीकरण भी हर पल नया मोड़ ले रहे हैं। मुंगेर से आई एक बड़ी खबर ने तो पूरे राजनीतिक माहौल को हिला दिया है। यहां जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार संजय सिंह ने मतदान से सिर्फ एक दिन पहले पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। इस अचानक हुए कदम ने न सिर्फ जनसुराज पार्टी, बल्कि खुद प्रशांत किशोर के लिए बड़ा झटका पैदा कर दिया है।
संजय सिंह ने आज बीजेपी उम्मीदवार कुमार प्रणय की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली और तुरंत उनके समर्थन में काम करने का ऐलान भी कर दिया। यह फैसला आते ही मुंगेर की सियासत में भूचाल आ गया। अब चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है कि क्या ये कदम वोटिंग के नतीजों की दिशा बदल सकता है।
जनसुराज के लिए ये झटका इसलिए भी बड़ा है क्योंकि प्रशांत किशोर ने अब तक खुद को जनता का सीधा प्रतिनिधि बताकर चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन टिकट बंटवारे और रणनीति को लेकर पार्टी के अंदर खींचतान पहले ही शुरू हो चुकी थी। अब संजय सिंह का पार्टी छोड़ना उस अंतर्कलह को और उजागर कर रहा है। इससे पहले भी जनसुराज के कई कार्यकर्ता और स्थानीय नेता या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिस पर प्रशांत किशोर ने बीजेपी पर “प्रत्याशी चोर” होने का आरोप तक लगाया था।
वहीं, इस वक्त मुंगेर में एक और चर्चा जोरों पर है — और वो है बीजेपी प्रत्याशी कुमार प्रणय की संपत्ति का मुद्दा। नामांकन के दौरान दाखिल हलफ़नामे में यह सामने आया कि कुमार प्रणय के पास कुल 177 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इस खुलासे के बाद वे बिहार के सबसे अमीर प्रत्याशियों में शामिल हो गए हैं। विरोधी दल इसे ‘पैसे की राजनीति’ बता रहे हैं, जबकि समर्थक कह रहे हैं कि यह उनकी मेहनत, सफलता और नेतृत्व क्षमता का सबूत है।
अब मुंगेर की लड़ाई सिर्फ तीन दलों के बीच नहीं रही — बल्कि यह क्षेत्र अब गठबंधन, रणनीति और आखिरी वक्त के दल-बदल की प्रयोगशाला बन गया है। मतदान कल होना है, और वोटिंग से चंद घंटे पहले का यह उलटफेर नतीजों की पूरी तस्वीर बदल सकता है। बिहार की राजनीति में यह एक ऐसा मोड़ है, जो प्रशांत किशोर की जनसुराज यात्रा के लिए सबसे कठिन परीक्षा साबित हो सकता है।

