पटना। बिहार चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, सियासी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज होता जा रहा है। बुधवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती के मौके पर देश और प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं, लेकिन इसी बीच जब मीडिया ने उनसे हम प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी की प्रचार गाड़ी से शराब बरामद होने का सवाल पूछा, तो तेजस्वी का जवाब साफ और तीखा था। उन्होंने कहा — “एनडीए क्या कर रही है, सब लोग देख रहे हैं… बिहार की जनता सब जान रही है।”
तेजस्वी के इस बयान ने राजनीतिक हलचल और तेज कर दी। दरअसल, कुछ दिन पहले गया जिले में दीपा मांझी की प्रचार गाड़ी से शराब की बोतलें बरामद की गई थीं, जिसके बाद सियासत गरमा गई। विपक्ष इसे प्रशासनिक दोहरे रवैये का मामला बता रहा है, जबकि एनडीए खेमे में इस मुद्दे पर असहजता दिख रही है।
वहीं दूसरी तरफ गौरा बौराम सीट से वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के भाई संतोष सहनी ने अपना नामांकन वापस ले लिया। इस फैसले पर तेजस्वी यादव ने कहा कि “यह उनका निर्णय है… और हम लोग अलग थोड़ी हैं।” बता दें कि इस सीट पर वीआईपी पार्टी ने राजद से निष्कासित अफजल अली खान को समर्थन देने का ऐलान किया है, जिससे महागठबंधन के अंदर नए समीकरण बनते नज़र आ रहे हैं।
उधर, जदयू नेता नीरज कुमार ने वीआईपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “वीआईपी पार्टी ने राजनीतिक आत्मसमर्पण कर दिया है। आप पहले उम्मीदवार देते हैं और फिर नामांकन वापस ले लेते हैं — ये किसके दबाव में हो रहा है?” उन्होंने आगे कहा कि “अति पिछड़ों के साथ यह राजनीतिक अन्याय है… और तेजस्वी यादव इस सामंती राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।”
अब सवाल यह है कि क्या मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने सचमुच राजनीतिक आत्मसमर्पण कर दिया है, या यह महागठबंधन की रणनीतिक चाल का हिस्सा है? दीपा मांझी के प्रचार वाहन से शराब मिलने की घटना ने जहां एनडीए की मुश्किलें बढ़ाई हैं, वहीं वीआईपी के रुख ने महागठबंधन की एकता पर भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। बिहार की राजनीति में अब हर बयान, हर कदम और हर गठबंधन चुनावी नतीजों की दिशा तय करेगा।

