भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार विकेटकीपर-बल्लेबाज ऋचा घोष ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 में भारत की ऐतिहासिक जीत में अहम भूमिका निभाने वाली ऋचा को अब पश्चिम बंगाल पुलिस में डीएसपी यानी डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस बनाया गया है। कोलकाता में आयोजित क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के विशेष समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें खुद नियुक्ति पत्र सौंपा और पूरे राज्य की ओर से उन्हें बधाई दी।
भारत की इस ऐतिहासिक जीत की गूंज अब सरकारी सम्मान में बदल चुकी है। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से मात दी थी, और ऋचा घोष ने इस मुकाबले में 34 रन की अहम पारी खेली थी। उनके संयम और आक्रामक खेल की बदौलत भारत लगभग 300 रन के बड़े स्कोर तक पहुंच सका, जिसने मैच की दिशा ही बदल दी।
इस शानदार प्रदर्शन के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने ऋचा को ‘बंग भूषण’ सम्मान से नवाजा। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें यह सम्मान देते हुए कहा — “ऋचा ने सिर्फ बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। उनका समर्पण और अनुशासन हर युवा के लिए प्रेरणा है।” ममता बनर्जी ने राज्य सरकार की ओर से उन्हें सोने की चेन भी भेंट की। वहीं क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल ने उन्हें गोल्डन बैट, गोल्डन बॉल और 34 लाख रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया — बिल्कुल उतने ही रन जितने उन्होंने वर्ल्ड कप फाइनल में बनाए थे।
ऋचा घोष ने सम्मान ग्रहण करते हुए कहा — “ये मेरे जीवन का सबसे खास पल है। क्रिकेट ने मुझे पहचान दी, लेकिन अब इस जिम्मेदारी के साथ मुझे समाज के लिए भी कुछ करने का मौका मिला है।”
यह पहली बार नहीं है जब किसी खिलाड़ी को पुलिस सेवा में शामिल किया गया हो। इससे पहले दीप्ति शर्मा को उत्तर प्रदेश पुलिस में डीएसपी बनाया गया था, जबकि मोहम्मद सिराज को एशिया कप फाइनल में शानदार प्रदर्शन के बाद तेलंगाना पुलिस ने डीएसपी पद से सम्मानित किया था।
सिर्फ 22 साल की उम्र में ऋचा घोष भारतीय महिला क्रिकेट की सबसे भरोसेमंद खिलाड़ियों में शुमार हो चुकी हैं। दो टेस्ट मैचों में 50.33 की औसत से 151 रन, 51 वनडे मुकाबलों में 1145 रन और 67 टी20 मैचों में 1067 रन — ये आंकड़े बताते हैं कि ऋचा सिर्फ प्रतिभाशाली नहीं, बल्कि निरंतर प्रदर्शन करने वाली खिलाड़ी हैं।
अब वर्ल्ड कप विजेता ऋचा घोष का नया सफर शुरू हो चुका है — मैदान की जीत से समाज की सेवा तक। और पूरे देश को गर्व है इस ‘बंगाल टाइगर’ पर, जिसने खेल और कर्तव्य दोनों में परचम लहराया है।

