बिहार चुनाव अभियान अब अपने निर्णायक दौर में पहुंच चुका है, और इसी बीच जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मधुबनी में एक ऐतिहासिक रोड शो किया। शहर की गलियों और मुख्य मार्गों से गुजरते हुए जब प्रशांत किशोर का काफिला निकला, तो सड़कों पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोग घरों की छतों और दुकानों से फूल बरसाते नजर आए, भीड़ जन सुराज लाओ, बिहार बचाओ के नारों से गूंज उठी।
प्रशांत किशोर ने अपने समर्थकों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया और जनता से बदलाव के लिए समर्थन की अपील की। लेकिन इस रोड शो की सबसे खास बात रही उनका राजनीतिक सौहार्द्र। उन्होंने भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों, जो अपने-अपने प्रचार में थे, का भी मंच से अभिवादन किया और कहा — “हम सब बिहार के विकास के लिए मैदान में हैं। राजनीति का मकसद लड़ाई नहीं, सेवा होना चाहिए।”
रोड शो के दौरान प्रशांत किशोर ने जनता से कहा कि जन सुराज कोई पार्टी नहीं, बल्कि जनता का आंदोलन है — एक ऐसा आंदोलन जो पारदर्शी, जवाबदेह और ईमानदार राजनीति की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “हम किसी व्यक्ति या दल के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उस व्यवस्था के खिलाफ हैं जिसने बिहार को पिछड़ा बना दिया। आज जनता बदलाव के मूड में है, और यह बदलाव जन सुराज से शुरू होगा।”
मधुबनी की भीड़ से उत्साहित प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आने वाला चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि बिहार की दिशा तय करने वाला चुनाव है। उन्होंने कहा, “हम वादे नहीं, विश्वास लेकर आए हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर पंचायत में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य की सुविधाएं सुनिश्चित हों। अब समय है कि बिहार अपने भविष्य की बागडोर खुद संभाले।”
मधुबनी शहर में किशोर के रोड शो के दौरान माहौल पूरी तरह उत्साह से भरा था। हजारों लोग सड़कों पर थे, कई स्थानों पर महिलाएं और युवा पोस्टर लेकर नारे लगा रहे थे। स्थानीय लोगों ने कहा कि पहली बार किसी नेता ने इतनी मर्यादा और सम्मान के साथ राजनीति की नई परिभाषा पेश की है।
राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि प्रशांत किशोर का यह कदम सिर्फ प्रचार नहीं, बल्कि एक संदेश है — कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मर्यादा और सम्मान कायम रहना चाहिए। मधुबनी का यह रोड शो अब बिहार की राजनीति में ‘विजन पॉलिटिक्स’ की एक नई मिसाल बन चुका है।

