कफ सिरप कांड में बड़ा एक्शन — डॉक्टर प्रवीण सोनी तीन दिन की पुलिस रिमांड पर, जेल से निकालकर शुरू हुई सघन पूछताछ

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप से हुई 25 बच्चों की मौत और कई की किडनी फेल होने की सनसनीखेज वारदात में अब जांच का दायरा और गहराता जा रहा है। परासिया पुलिस ने आज अदालत के आदेश पर आरोपी बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी को जेल से बाहर निकालकर तीन दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया है।

डॉ. सोनी पर आरोप है कि उन्होंने जिन बच्चों को यह सिरप दिया था, वही सिरप मौत की वजह बना। लैब रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस सिरप में 46.2 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया — जो बेहद जहरीला रसायन है और किडनी फेलियर का मुख्य कारण बनता है।

अब पुलिस डॉक्टर से सघन पूछताछ कर रही है। रिमांड के दौरान जांच टीम यह जानने की कोशिश करेगी कि डॉक्टर सोनी को सिरप लिखने के लिए कंपनी से कमीशन मिला था या नहीं। बताया जा रहा है कि प्रत्येक सिरप की बिक्री पर करीब 10 प्रतिशत यानी 9 रुपये कमीशन दिया जा रहा था। इसके साथ ही डॉक्टर से उनके प्रिस्क्रिप्शन रिकॉर्ड, फार्मासिस्टों और सप्लायर्स के कनेक्शन को लेकर भी पूछताछ जारी है।

स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) इस केस में पहले ही कंपनी के डायरेक्टर रंगनाथन गोविंदन और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सतीश वर्मा को गिरफ्तार कर चुकी है।

अगर पूरे मामले की बात करें तो यह घटना अक्टूबर 2025 की है, जब परासिया इलाके में कई बच्चे बुखार और खांसी के इलाज के लिए डॉ. सोनी के पास पहुंचे थे। डॉक्टर ने उन्हें कोल्ड्रिफ सिरप दिया, लेकिन सिरप पीने के कुछ ही दिनों बाद बच्चों की हालत बिगड़ने लगी। तमिलनाडु की श्रेसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाए गए इस सिरप में मिलावट की पुष्टि लैब रिपोर्ट से हो चुकी है।

पहले 11 बच्चों की मौत दर्ज हुई थी, लेकिन आंकड़ा बढ़कर 25 तक पहुंच गया। डॉक्टर प्रवीण सोनी को 4 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया था और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित करने के आदेश जारी किए थे।

अब उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 105, 276 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की धारा 27(ए) के तहत मामला दर्ज है। पुलिस का कहना है — “रिमांड के दौरान कई बड़े राज खुल सकते हैं, और जांच की दिशा अब सीधे सप्लाई चेन और कमीशन नेटवर्क पर केंद्रित होगी।

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