बिहार चुनाव में महागठबंधन की बड़ी हार के बाद अब आरोपों की राजनीति तेज हो गई है। 2020 में 12 सीटें जीतने वाली सीपीआईएमएल इस बार सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई, और इसी बीच पटना के पालीगंज में विधायक संदीप सौरभ ने मीडिया से बात करते हुए सीधे तौर पर SIR प्रक्रिया में धांधली और सरकारी खजाने के खुले दुरुपयोग को हार की मुख्य वजह बताया।
उन्होंने दावा किया कि चुनाव से पहले हुई SIR प्रक्रिया पूरी तरह संदिग्ध रही। जिन लोगों के नाम हटाए गए, उससे कहीं ज्यादा बाहरी लोगों के नाम सत्ता पक्ष के दबाव में जोड़े गए। उन्होंने कहा कि किसका नाम जोड़ा गया, किसका हटाया गया—इस पूरी प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रही, और हजारों फर्जी नाम जोड़कर कई सीटों पर वोट का संतुलन बदल दिया गया।
संदीप सौरभ ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खातों में 10 हजार रुपये भेजे गए, और यह काम मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लगने के बाद भी जारी रहा। उनके अनुसार, विपक्ष ने शिकायतें कीं लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनका कहना है कि यह कदम चुनावी फायदा लेने के उद्देश्य से उठाया गया और इसका असर नतीजों में साफ देखा गया।
इसके साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि एनडीए नेताओं ने चुनाव के दौरान खुले तौर पर पैसे बांटे और शिकायतों के बावजूद प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय बैठा रहा। संदीप सौरभ ने कहा कि वे लगातार शिकायत करते रहे लेकिन किसी ने नहीं सुना। उन्होंने माना कि महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर आखिरी समय तक खींचतान रही, जिसका कुछ असर पड़ा, लेकिन हार की असली वजह उन्होंने सरकारी सिस्टम के दुरुपयोग और चुनावी प्रक्रिया में धांधली को बताया।

