बिहार में नई सरकार के गठन के बाद पूरे प्रदेश में उत्साह की लहर है, लेकिन मोकामा में माहौल बिल्कुल अलग है… वहाँ सिर्फ एक ही चर्चा है—उनके विधायक अनंत सिंह शपथ कैसे लेंगे? जेल के भीतर बंद “छोटे सरकार” को लेकर जनता की बेचैनी अब कानूनी सवाल से आगे बढ़कर भावनाओं का मुद्दा बन चुकी है। गांव की चाय दुकानों से लेकर गंगा किनारे तक, हर जगह लोग यही पूछ रहे हैं कि हमने जिसे वोट देकर भेजा… क्या वो विधानसभा तक पहुँच भी पाएंगे या नहीं?
मोकामा के बुजुर्ग बताते हैं कि जनता की उम्मीदें टिकी हुई हैं, क्योंकि वे चाहते हैं कि उनकी आवाज सदन तक पहुँचे। लेकिन अनंत सिंह अभी भी जेल में हैं और असल फैसला अदालत की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। शपथ ग्रहण का अनुमानित समय 25 नवंबर के बाद माना जा रहा है और इसी बीच उनकी कानूनी टीम तेजी से सक्रिय हो गई है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि कोर्ट चार्जशीट को किन धाराओं में स्वीकार करती है और क्या उन धाराओं में उन्हें अस्थायी राहत मिल सकती है। अगर कोर्ट अनुमति देती है तो वे शपथ लेने विधानसभा पहुँच सकते हैं, वरना इंतजार और लंबा हो जाएगा।
इस पूरे मामले ने बिहार की राजनीति का तापमान एक बार फिर बढ़ा दिया है। यह सिर्फ एक विधायक की शपथ का सवाल नहीं, बल्कि उस बिंदु का भी प्रतीक है जहां कानून, जनता की भावना और सत्ता की राजनीति—all तीन आमने-सामने दिखाई देते हैं। आने वाले कुछ दिन बेहद अहम रहेंगे। अब देखना यह है कि मोकामा की जनता अपने छोटे सरकार को सदन की कुर्सी पर देख पाएगी… या फिर अदालत की तारीखें ही उनकी राह का सबसे बड़ा पड़ाव बन जाएँगी।

