लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ ऊर्जा के रास्ते पर एक नई मिसाल कायम कर दी है। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ़्त बिजली योजना के तहत प्रदेश ने 27 नवंबर 2025 तक 1 गीगावाट की क्षमता पूरी कर ली है, और यह उपलब्धि सिर्फ एक आंकड़ा नहीं—बल्कि हर घर में उजाला, बचत और आत्मनिर्भरता की नई कहानी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ऊर्जा आत्मनिर्भरता पर लगातार तेज़ी से काम हो रहा है। सरकार की पारदर्शी और सरल नीति की वजह से आज पूरे प्रदेश में 2 लाख 90 हजार से ज्यादा घर सोलर रूफटॉप से रोशन हो चुके हैं। इन सोलर सिस्टम्स ने न सिर्फ बिजली की बचत बढ़ाई है, बल्कि लगभग 4,000 एकड़ भूमि की भी बचत संभव हुई है, जो अब अन्य विकास परियोजनाओं के लिए इस्तेमाल की जा सकेगी।
योजना के तहत सरकार की तरफ से बड़ी आर्थिक मदद भी दी गई है। भारत सरकार अब तक 2,000 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश सरकार 600 करोड़ रुपये का अनुदान दे चुकी है। इससे आम नागरिकों पर आर्थिक बोझ कम हुआ है और लोग बड़े पैमाने पर इस योजना से जुड़ते चले गए हैं। शुरुआत में जहां सिर्फ 81 वेंडर थे, वहीं आज उनकी संख्या बढ़कर 4,200 तक पहुंच गई है। इसका फायदा ये हुआ कि तकनीकी सहायता बढ़ी, प्रतिस्पर्धा आई और लोगों तक सेवा पहुंचना और भी आसान हो गया।
सबसे बड़ा असर पड़ा रोजगार पर। सोलर पैनल बनाने से लेकर उनको लगाने, मॉनिटर करने और सर्विस देने तक—अब तक करीब 50,000 नए रोजगार पैदा हो चुके हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है और युवाओं को नए अवसर मिले हैं।
यूपी की यह उपलब्धि सिर्फ बिजली बचत की नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और हरित विकास की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। सरकार का लक्ष्य साफ है—आने वाले समय में हर घर स्वच्छ ऊर्जा से जुड़े और पूरा प्रदेश ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन जाए।

