मध्य प्रदेश के विवादित IAS अधिकारी संतोष वर्मा एक बार फिर बड़े संकट में फंसते नजर आ रहे हैं। ब्राह्मण बेटियों पर अभद्र टिप्पणी के बाद सुर्खियों में आए संतोष वर्मा का वर्षों पुराना फर्जी कोर्ट ऑर्डर मामला एक बार फिर गरमाता दिख रहा है। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने इस केस की गहन जांच के लिए पुलिस को प्रशासनिक मंजूरी दे दी है, जिसके बाद उनकी लंबित पदोन्नति पर भी तलवार लटक गई है।
यह पूरा मामला साल 2016 में दर्ज हुए उस गंभीर केस से जुड़ा है, जिसमें एक महिला ने संतोष वर्मा पर बेहद गंभीर आरोप लगाए थे। महिला का आरोप है कि 2010 से पहचान होने के बाद शादी का झूठा वादा किया गया, और धार के रिद्धिनाथ मंदिर में उनसे गुप्त रूप से विवाह भी किया गया। बाद में जब महिला को पता चला कि संतोष वर्मा पहले से शादीशुदा हैं और उसने विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की गई, जबरन दो बार गर्भपात कराया गया, और अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग के दौरान अवैध रूप से साथ रखकर प्रताड़ित किया गया।
महिला ने इन आरोपों पर धारा 493, 494, 495, 323, 294 और 506 IPC के तहत FIR दर्ज कराई थी। इसी केस को खत्म दिखाने के लिए संतोष वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने 6 अक्टूबर 2020 का एक फर्जी कोर्ट ऑर्डर बनवाया। इस आदेश में तत्कालीन जज विजयेन्द्र सिंह रावत का नाम और कोर्ट की सील थी, लेकिन उस दिन जज छुट्टी पर थे। बाद में रिकॉर्ड भी नहीं मिला और जज का तबादला कर निलंबन की कार्रवाई हुई।
27 जून 2021 को फर्जी कोर्ट ऑर्डर मामले में धारा 120B, 420, 467, 468, 471 और 472 IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। इसी बीच आरक्षण मुद्दे पर ब्राह्मण समाज के खिलाफ दिए विवादित बयान ने भी संतोष वर्मा को सुर्खियों में ला दिया।
अब हाईकोर्ट से जांच की मंजूरी मिलते ही पुलिस फिर से इस पूरे मामले की तफ्तीश शुरू कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, अगर जांच में संतोष वर्मा की भूमिका साबित हुई, तो न केवल प्रमोशन रुक सकता है बल्कि उनकी नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है।

