बालाघाट। मध्य प्रदेश के इतिहास में गुरुवार का दिन एक सुनहरे अध्याय की तरह दर्ज हो गया है, क्योंकि एमएमसी जोन के दो सक्रिय नक्सलियों के सरेंडर के साथ बालाघाट जिला अब पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त हो चुका है। सीआरपीएफ के कोरका कैंप में डीसीएम रैंक के दीपक और एसीएम रैंक के रोहित ने आत्मसमर्पण किया, जिन पर क्रमशः 29 लाख और 14 लाख का इनाम घोषित था। सरेंडर के बाद बालाघाट पुलिस कंट्रोल रूम में प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जहां आईजी संजय कुमार, सीआरपीएफ आईजी नीतू भट्टाचार्य, कलेक्टर मृणाल मीना और एसपी आदित्य मिश्रा मौजूद रहे। आईजी ने साफ कहा कि अब मध्य प्रदेश में नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त हो गया है और यह सफलता सभी सुरक्षा बलों की संयुक्त मेहनत का परिणाम है। दीपक ने समर्पण के समय कार्बाइन गन और कारतूस भी जमा किए।
कलेक्टर मृणाल मीना ने बताया कि नक्सल गतिविधियों के कारण सौ से ज्यादा गांव सरकारी योजनाओं और मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे, लेकिन अब जिला नक्सल मुक्त हो जाने के बाद इन गांवों में विकास की धाराएं तेजी से बहेंगी। मुख्यमंत्री की वर्चुअल मौजूदगी में समर्पण करने वाले इन नक्सलियों के साथ अब 42 दिनों में एमएमसी जोन में कुल 7 करोड़ 75 लाख के इनामी 42 नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि 11 दिसंबर को बालाघाट ने लाल सलाम को आखिरी सलाम कर दिया है और यह सुरक्षा बलों के साहस, त्याग और रणनीति का ऐतिहासिक परिणाम है।
सरकार ने ऐलान किया है कि सरेंडर पॉलिसी के तहत सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास देकर नया जीवन दिया जाएगा और आवश्यक सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने सभी सशस्त्र बलों, पुलिस और प्रशासन को इस अभियान की सफलता पर बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में चलाए गए इस अभूतपूर्व अभियान ने मध्य प्रदेश को पूरी तरह नक्सल मुक्त कर दिया है। 2025 में 10 नक्सलियों को मार गिराया गया और 13 ने आत्मसमर्पण किया, जिससे प्रदेश में सक्रिय नक्सली केडर पूरी तरह ध्वस्त हो गया।
मुख्यमंत्री ने नक्सल मुक्त अभियान में शहीद हुए 38 पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को नमन करते हुए कहा कि उनकी कुर्बानियों ने यह दिन संभव बनाया है और अब मंडला, डिंडोरी और बालाघाट के विकास में कोई बाधा नहीं बचेगी।

