इंदौर। कोरोना संक्रमण के बाद भले ही लोग अपनी सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक हुए हों, लेकिन इसके साथ ही कई नई बीमारियों ने भी दस्तक दी है। एक तरफ हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं, तो दूसरी ओर अब केवल चेहरे पर लकवा यानी बेल्स पाल्सी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इंदौर में ठंड बढ़ते ही यह बीमारी चिंता का कारण बनती जा रही है।
एमवाय अस्पताल में पिछले एक से डेढ़ महीने के भीतर बेल्स पाल्सी के करीब 50 मामले सामने आ चुके हैं। हालात ऐसे हैं कि ओपीडी में रोजाना दो से तीन नए मरीज आधे चेहरे के लकवे की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड के मौसम में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है और समय रहते पहचान बेहद जरूरी है।
फिजियोथैरेपी विभाग के प्रभारी डॉक्टर मनीष गोयल के मुताबिक ठंड, वायरल संक्रमण या चेहरे की नस में सूजन के कारण यह बीमारी होती है, जिसमें चेहरे का आधा हिस्सा अचानक प्रभावित हो जाता है। मरीज की मुस्कान टेढ़ी हो जाती है, आंख पूरी तरह बंद नहीं हो पाती और चेहरा सुन्न सा महसूस होने लगता है। ये सभी लक्षण आमतौर पर 48 से 72 घंटे के भीतर साफ तौर पर नजर आने लगते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय पर इलाज शुरू कर दिया जाए तो लगभग 95 प्रतिशत मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। एमवाय अस्पताल में खुद एक रेडियोग्राफर भी इस बीमारी की चपेट में आ चुका है, जिससे इसकी गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। विशेषज्ञों ने लोगों को ठंड से बचाव, चेहरे को ढककर रखने और किसी भी तरह के लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराने की सलाह दी है।
यह बीमारी भले ही जानलेवा न हो, लेकिन लापरवाही बरती गई तो लंबे समय तक चेहरे पर असर छोड़ सकती है, इसलिए सतर्क रहना और समय पर इलाज ही इसका सबसे बड़ा बचाव है।

