मध्यप्रदेश को मिल्क कैपिटल बनाने की दिशा में बड़ा कदम, कामधेनु योजना से मजबूत होगी ग्रामीण अर्थव्यवस्था

इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश को देश की “मिल्क कैपिटल” बनाने का लक्ष्य तय करते हुए दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और पशुपालकों की आय मजबूत करने की दिशा में बड़ा रोडमैप तैयार किया है. इसी लक्ष्य के तहत राज्य सरकार ने “डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना” की शुरुआत की है, जिसे प्रदेश में डेयरी क्रांति की नींव माना जा रहा है.

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की असली ताकत गांव, किसान और पशुपालक हैं. कामधेनु योजना के जरिए सरकार ग्रामीण युवाओं, किसानों और पशुपालकों को स्थायी रोजगार और नियमित आय से जोड़ना चाहती है. आधुनिक डेयरी यूनिट स्थापित कर पशुपालक अपने काम को पूरी तरह व्यावसायिक और लाभकारी बना सकेंगे. पशुपालन एवं डेयरी विभाग ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना में 100 करोड़ 72 लाख रुपये से ज्यादा का बजट निर्धारित किया है.

सरकार ने इस साल 828 से अधिक हितग्राहियों को योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा है. योजना के तहत एक हितग्राही 25 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित कर सकता है. इच्छुक पशुपालक चाहें तो अधिकतम 8 इकाइयां यानी 200 पशुओं तक की बड़ी डेयरी परियोजना भी शुरू कर सकते हैं. इसके लिए प्रति इकाई कम से कम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होना जरूरी रखा गया है, ताकि पशुओं के रख-रखाव, चारे और संचालन में कोई परेशानी न हो. सरकार केवल आर्थिक सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि पशुपालकों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी दी जाएगी, जिससे डेयरी व्यवसाय को आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से चलाया जा सके.

अनुदान की बात करें तो अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के हितग्राहियों को परियोजना लागत का 33 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा, जबकि अन्य वर्गों को 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी. शेष राशि बैंक ऋण के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे बड़े निवेश का बोझ पशुपालकों पर कम पड़े. योजना की चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रखी गई है और आवेदन ऑनलाइन माध्यम से किए जाएंगे. सामान्य तौर पर “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर लाभ दिया जाएगा, वहीं जो पशुपालक पहले से दुग्ध संघों या सहकारी संस्थाओं को दूध की आपूर्ति कर रहे हैं, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी.

आवेदन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, भूमि संबंधी दस्तावेज, बैंक खाता विवरण, जाति प्रमाण पत्र यदि लागू हो और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जरूरी होंगे. इच्छुक पशुपालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग की वेबसाइट या अपने जिले के पशु चिकित्सा कार्यालय से पूरी जानकारी ले सकते हैं. सरकार को उम्मीद है कि कामधेनु योजना के जरिए दुग्ध उत्पादन में तेजी आएगी, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ेगा और मध्यप्रदेश देश के अग्रणी डेयरी राज्यों की कतार में मजबूती से खड़ा होगा.

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