मोहन कैबिनेट से मंत्रियों की होगी छुट्टी, परफॉर्मेंस रिपोर्ट बनेगी आधार

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति से बड़ी खबर सामने आ रही है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की कैबिनेट से तीन से चार मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है। बताया जा रहा है कि दो साल के कार्यकाल की परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला लिया जाएगा। जिन मंत्रियों का प्रदर्शन कमजोर माना गया है, उन्हें हटाकर नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है, वहीं वरिष्ठ विधायकों की मंत्रिमंडल में एंट्री भी संभव है।

सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की समीक्षा बैठक में मंत्रियों के कामकाज की पूरी रिपोर्ट सामने रखी गई है। इस परफॉर्मेंस रिपोर्ट में कुछ मंत्रियों को अच्छे नंबर मिले हैं, जबकि कुछ का प्रदर्शन अपेक्षा से कमजोर पाया गया है। कमजोर परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक फिर से विभागों के कामकाज की गहन समीक्षा की जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2026 में मोहन कैबिनेट का विस्तार प्रस्तावित है।

रिपोर्ट के अनुसार डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और राजेंद्र शुक्ला का कामकाज संतोषजनक माना गया है। मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी के पर्यटन और संस्कृति विभाग के कार्यों की मुख्यमंत्री ने सराहना की है। मंत्री तुलसीराम सिलावट के विभागीय नवाचारों को भी सराहा गया है। मंत्री गौतम टेटवाल के कौशल विकास से जुड़े नवाचार और पीएम पार्क को लेकर सकारात्मक फीडबैक मिला है। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का काम भी संतोषजनक बताया गया है।

वहीं कुछ मंत्रियों को अपने कामकाज में सुधार की सख्त हिदायत दी गई है। मंत्री दिलीप अहिरवार के टार्गेट्स को लेकर नए सिरे से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मंत्री नारायण सिंह पंवार को मछुआ कल्याण विभाग की बेहतर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री नागर सिंह चौहान अनुसूचित जाति कल्याण विभाग में कोई बड़ा नवाचार नहीं ला पाए, जिस पर असंतोष जताया गया है।

मंत्री विजय शाह को जनजातीय विभाग में बेहतर काम करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही उनके विवादित बयानों को लेकर भी सरकार नाराज बताई जा रही है। पहले कर्नल सोफिया कुरैशी और अब लाड़ली बहनों पर दिए गए बयान सरकार के लिए असहज बने हैं। वहीं राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी के मामले में गांजा तस्करी में भाई और बहनोई का नाम सामने आने के बाद मुख्यमंत्री और संगठन दोनों ही नाराज बताए जा रहे हैं।

अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि परफॉर्मेंस रिपोर्ट के आधार पर मोहन कैबिनेट में किन मंत्रियों का पत्ता कटता है और किन नए चेहरों को सरकार में मौका मिलता है।

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