फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ की बहुत बड़ी प्रशंसा की है। उन्होंने इसे सिर्फ़ एक फिल्म नहीं बल्कि भारतीय सिनेमा के लिए एक क्वांटम लीप बताया।
राम गोपाल वर्मा का कहना है कि आदित्य धर ने अकेले ही हिंदी और साउथ फिल्म इंडस्ट्री दोनों का भविष्य बदल दिया है।
उन्होंने कहा कि ‘धुरंधर’ केवल भव्यता या स्केल की फिल्म नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा विजन है जिसे पहले कभी महसूस नहीं किया गया। यह फिल्म दर्शकों के दिमाग तक पहुँचती है और उन्हें स्क्रीन पर हो रही घटनाओं का हिस्सा बना देती है।
राम गोपाल वर्मा ने बताया कि आदित्य धर किरदारों और दर्शकों दोनों के मन की स्थिति को बहुत गहराई से समझकर प्रस्तुत करते हैं। फिल्म ध्यान मांगने की बजाय हुक्म चलाती है।
उन्होंने कहा कि ‘धुरंधर’ सेफ खेलने से मना करती है। इसमें तेज़ लेखन, खतरनाक स्टेजिंग और पावरफुल साउंड डिज़ाइन है।
फिल्म की परफॉर्मेंस अप्रूवल के लिए नहीं, बल्कि दर्शकों के साथ गहरा रिश्ता बनाने के लिए हैं। आदित्य धर दर्शकों को समझदार मानते हैं, जो आज के सिनेमा में बहुत कम देखने को मिलता है।
‘सत्या’ के निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने बताया कि तकनीकी रूप से यह फिल्म मेनस्ट्रीम भारतीय सिनेमा के नियमों को फिर से लिखती है। साउंड डिज़ाइन सीन को सजाने के बजाय उसका पीछा करता है और कैमरा शिकारी की तरह चारों ओर घूमता है।
उन्होंने कहा कि फिल्म का एक्शन कोरियोग्राफ़ी के लिए नहीं, बल्कि सही नजरिए और असली हिंसा के अनुभव के लिए है।
राम गोपाल वर्मा ने कहा कि ‘धुरंधर’ किसी भी तरह की वैलिडेशन नहीं मांगती। यह साफ संदेश देती है कि भारतीय सिनेमा को सफल होने के लिए खुद को हल्का करने या हॉलीवुड की नकल करने की जरूरत नहीं।
आदित्य धर ने साबित किया कि भारतीय जड़ों से जुड़े रहकर भी इंटरनेशनल लेवल का सिनेमा बनाया जा सकता है।
फिल्म के फाइनल क्रेडिट्स के बाद आपको सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि बदलाव महसूस होता है। यही उस फिल्ममेकर की पहचान है जो सिर्फ़ फिल्में नहीं बना रहा, बल्कि भारतीय सिनेमा की ज़मीन ही बदल रहा है।
राम गोपाल वर्मा ने एक अलग ट्वीट में कहा कि ‘धुरंधर’ से उन्हें अनोखे सबक मिले हैं। उन्होंने अक्षय खन्ना को फिल्म में सेंटर स्टेज देने के लिए निर्देशक आदित्य धर और ‘धुरंधर’ को गेम चेंजर कहकर धन्यवाद भी दिया।

