दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की करीब 30 हजार करोड़ रुपये की निजी संपत्ति को लेकर चल रहा पारिवारिक विवाद अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस हाई-प्रोफाइल मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम रोक से जुड़ा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने साफ कर दिया है कि अब न तो कोई नई दलील सुनी जाएगी और न ही कोई नया दस्तावेज स्वीकार किया जाएगा। अदालत का आने वाला आदेश तय करेगा कि इस विरासत की लड़ाई आगे किस दिशा में जाएगी।
मामले का केंद्र दिवंगत संजय कपूर की कथित वसीयत है, जिसमें उनकी पूरी निजी संपत्ति तीसरी पत्नी प्रिया कपूर को दिए जाने का दावा किया गया है। इस वसीयत को अभिनेत्री करिश्मा कपूर और उनके बच्चे समायरा कपूर और कियान राज कपूर ने अदालत में चुनौती दी है। बच्चों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि वसीयत में कई गंभीर खामियां हैं। उन्होंने कहा कि दस्तावेज में स्त्रीलिंग सर्वनाम का इस्तेमाल हुआ है, संजय कपूर की मां का नाम गायब है, वसीयत रजिस्टर्ड नहीं है और ऐसा प्रतीत होता है कि इसे किसी तीसरे व्यक्ति के लैपटॉप पर तैयार किया गया। उन्होंने यह भी दलील दी कि प्रिया कपूर ही वसीयत की प्रस्तावक और एकमात्र लाभार्थी हैं, ऐसे में इस दस्तावेज की गहन जांच बेहद जरूरी है।
संजय कपूर की मां रानी कपूर ने भी इस वसीयत का खुलकर विरोध किया है। उनकी ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट वैभव गग्गर ने अदालत में कहा कि संजय कपूर अपने बच्चों, मां और पूरे परिवार से बेहद जुड़ाव रखते थे और यह संभव नहीं है कि वे अपनी पूरी संपत्ति केवल प्रिया कपूर को सौंप दें। रानी कपूर ने आरोप लगाया कि संजय की मौत के तुरंत बाद प्रिया कपूर ने कारोबार और संपत्तियों पर नियंत्रण हासिल करने की जल्दबाजी की। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में जमा की गई संपत्ति की सूची अधूरी है, जिसमें महंगी पेंटिंग्स, घड़ियां, बैंक अकाउंट, इंश्योरेंस और किराए से होने वाली आय शामिल नहीं की गई है। जांच में यह भी सामने आया कि संजय कपूर की कमाई करोड़ों में थी, लेकिन अदालत में दिखाई गई घोषित संपत्ति महज करीब 1.7 करोड़ रुपये बताई गई है।
वहीं प्रिया कपूर की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव नायर ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा कि संपत्तियों की पूरी सूची वित्तीय रिकॉर्ड और शपथ पत्रों के साथ कोर्ट में जमा की जा चुकी है। उन्होंने साफ कहा कि विदेश में संपत्ति छिपाने या ट्रांसफर करने का कोई सबूत नहीं है। प्रिया कपूर के वकील ने यह भी दावा किया कि संजय कपूर की सालाना 60 करोड़ रुपये की कमाई का आरोप गलत है और रोलेक्स घड़ी से जुड़ा दावा फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट पर आधारित है। उन्होंने यह भी बताया कि संजय की मौत के बाद लिए गए कुछ कॉर्पोरेट फैसले रानी कपूर के ईमेल के आधार पर किए गए थे, जिन्हें बाद में उन्होंने खुद नकार दिया। साथ ही यह दलील भी दी गई कि संजय कपूर की वसीयत का प्रारूप रानी कपूर की 2024 की वसीयत से काफी मिलता-जुलता है।
फिलहाल सभी पक्षों की लिखित दलीलें अदालत में पूरी हो चुकी हैं और अब अंतरिम आदेश का इंतजार है। यह आदेश तय करेगा कि प्रिया कपूर संपत्ति से जुड़े किसी भी तरह के लेन-देन की हकदार होंगी या नहीं। कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक यह मामला सिर्फ अरबों की संपत्ति का नहीं है, बल्कि परिवार के रिश्तों, भरोसे और विरासत की सबसे बड़ी परीक्षा भी है। अब सबकी निगाहें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं, जो इस बहुचर्चित विरासत विवाद की दिशा तय करेगा।

