भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल को भिखारी मुक्त बनाने का ऐलान हुए करीब 10 महीने बीत चुके हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग नजर आ रही है। शहर की सड़कों, चौराहों और बाजारों में आज भी भिखारी दिखाई दे रहे हैं। इस बात का खुलासा खुद सामाजिक न्याय मंत्री ने किया है, जिसके बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि आदेश जारी होने के बावजूद भोपाल अब तक भिखारी मुक्त क्यों नहीं हो सका।
दरअसल, डॉ मोहन यादव सरकार के दो साल पूरे होने पर मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड पेश किए जा रहे हैं। इसी क्रम में सोमवार को उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण और सामाजिक न्याय मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने विभाग की उपलब्धियां गिनाईं और आने वाली योजनाओं की जानकारी दी। मंत्री ने दो साल के कामकाज के साथ 2047 का रोड मैप भी सामने रखा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब भोपाल को भिखारी मुक्त बनाने को लेकर सवाल पूछा गया, तो सामाजिक न्याय मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने बताया कि प्रदेश के 12 शहरों को भिक्षा मुक्त बनाने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि इंदौर में इस दिशा में बहुत अच्छा काम हुआ है और उसी मॉडल पर भोपाल को भी भिखारी मुक्त बनाने के प्रयास जारी हैं।
आपको बता दें कि फरवरी 2025 में भोपाल को भिखारी मुक्त बनाने का आदेश जारी किया गया था। उस आदेश के तहत राजधानी में भीख लेना और भीख देना दोनों को अपराध घोषित किया गया था, साथ ही भीख लेने और देने वालों पर एफआईआर दर्ज करने तक की बात कही गई थी। इसके बावजूद 10 महीने बाद भी भोपाल में भिखारियों की मौजूदगी इस अभियान की हकीकत और सरकारी दावों पर बड़े सवाल खड़े कर रही है।

