सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से एक मासूम लेकिन मजबूत आवाज देश तक पहुंच रही है, जो अपनी कला के जरिए पूरे इलाके की पीड़ा बयां कर रही है। यह आवाज है नन्हीं गायिका रूबी तिवारी की, जिसने अपने सुरों के माध्यम से सिंगरौली के ताजा हालात को देश के शीर्ष नेतृत्व के सामने रखने की कोशिश की है। रूबी न सिर्फ अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा कर रही है, बल्कि समाज से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर भी सवाल उठा रही है।
सिंगरौली में जंगलों की अंधाधुंध कटाई, देश के सबसे बड़े विस्थापन की त्रासदी, आदिवासी परिवारों की जमीन पर संकट और बढ़ते खनन से बिगड़ता पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दों को लेकर नन्हीं रूबी ने सीधे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार लगाई है। अब सवाल यह है कि क्या सिंगरौली के जनप्रतिनिधि इस मासूम आवाज को सदन तक पहुंचाएंगे या फिर हमेशा की तरह चुप्पी साधे रहेंगे।
रूबी तिवारी का पालन-पोषण एक संस्कारवान और शिक्षित परिवार में हुआ है। उनकी मां गृहिणी हैं और पिता एक वरिष्ठ पत्रकार और लेखन में दक्ष व्यक्ति हैं। गायन का सपना कभी पिता की आंखों में था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते वे अपने सुरों को उड़ान नहीं दे पाए। समय के साथ वही अधूरा सपना उनकी बेटी रूबी में आकार लेने लगा।
स्कूली शिक्षा के दौरान ही पिता ने रूबी की गायन प्रतिभा को पहचान लिया और सीमित संसाधनों के बावजूद खुद ही उसे संगीत की बुनियादी शिक्षा देने लगे। यहीं से रूबी के सुरों को पंख मिले और वह मां सरस्वती की साधना में रमती चली गई। आज वही नन्हीं रूबी अपने गीतों के जरिए न सिर्फ अपने पिता के सपनों को साकार कर रही है, बल्कि सिंगरौली की पीड़ा की आवाज बनकर देश के सर्वोच्च मंच तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।

