Food Poisoning: इन मामूली लक्षणों को भूल से भी न करें नजरअंदाज, हो सकते हैं फूड पॉइजनिंग के शिकार

Food Poisoning Symptoms : गर्मियों में फूड पॉइजनिंग आम, मगर गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। 7 जून को मनाए जाने वाले विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस का भी यही उद्देश्य है कि इस समय आपको थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए।

इस मौसम आपने महसूस किया होगा कि परिवार का कोई न कोई सदस्य पेट दर्द, अपच या उल्टी जैसी समस्याओं से परेशान रहता है। कई बार आप इन लक्षणों को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह फूड पॉइजनिंग का संकेत हो सकता है। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह बड़ी परेशानी बन सकता है।

पहले समझें

फूड पॉइजनिंग एक स्वास्थ्य समस्या है, जो दूषित भोजन या पेय पदार्थ के सेवन से होती है। असल में यह स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब भोजन में बैक्टीरिया, वायरस या उसके द्वारा उत्पन्न टॉक्सिन्स पनप जाते हैं और आप उसका सेवन कर लेती हैं। गर्मियों में यह समस्या अधिक देखी जाती है, क्योंकि उच्च तापमान पर सूक्ष्म जीवाणु तेजी से पनपते हैं।

एक नहीं, कई कारण

फूड पॉइजनिंग का सबसे आम कारण है दूषित या अधपका भोजन, जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी होते हैं। बासी खाना, अस्वच्छ पानी, ठीक से न पकाया गया मांस या खुले में रखा खाना इसके स्रोत होते हैं। खराब तरीके से संग्रहित भोजन, गंदे हाथों से खाना बनाना या परोसना और गंदे बर्तनों का उपयोग भी फूड पॉइजनिंग का कारण बनते हैं।

कुछ चीजों से परहेज

फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए कुछ खास खाद्य पदार्थों से दूरी बनाना बेहद जरूरी है, खासकर गर्मियों में। इसमें सबसे पहला है, जंक फूड, स्ट्रीट फूड, बासी भोजन और अधिक मसालेदार भोजन से परहेज करें, क्योंकि ये जल्दी खराब होते हैं। दूसरे, आप इस मौसम में अधिक मांस और अंडे का सेवन न करें, क्योंकि इनमें बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं।

लक्षणों की पहचान

फूड पॉइजनिंग के सामान्य लक्षणों में पेट दर्द, मरोड़, दस्त, उल्टी, मतली, कमजोरी और सिर दर्द शामिल हैं। कुछ मामलों में बुखार, शरीर में कंपकंपी और डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। यदि उल्टी या दस्त बार-बार हो या मरीज बेहोशी जैसी स्थिति में पहुंच जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

बच्चे-बुजुर्गों को अधिक खतरा 

छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक प्रणाली पूरी तरह विकसित नहीं होती और बुजुर्गों में उम्र के साथ कमजोर पड़ जाती है। इस कारण उनका शरीर बैक्टीरिया से उतनी जल्दी नहीं लड़ पाता, जितना एक स्वस्थ वयस्क का शरीर लड़ सकता है। साथ ही फूड पॉइजनिंग से होने वाला डिहाइड्रेशन, उल्टी और दस्त इन आयु वर्गों में जल्दी असर दिखाते हैं और ज्यादा गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं।

सावधानियां बरतनी होंगी

फूड पॉइजनिंग से बचाव के लिए खाना बनाते समय और खाने से पहले हाथ धोना बेहद जरूरी है। साथ ही किचन, बर्तन और फ्रिज को साफ रखें। दूध को हमेशा उबालें और पाश्चराइज करें। बासी खाने से बचें। केवल फिल्टर या उबला पानी ही पीएं और बाहर जाते समय घर से पानी साथ लेकर जाएं।

सावधानी ही सुरक्षा

वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, दिल्ली में कम्युनिटी मेडिसिन की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्नेहा कुमारी बताती हैं, फूड पॉइजनिंग तब होती है, जब दूषित खाद्य पदार्थों का सेवन किया जाता है। यह बीमारी आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या टॉक्सिन्स से फैलती है। इसके प्रमुख कारक ई कोलाई, सैल्मोनेला, स्टैफिलोकोकस जैसे हानिकारक जीवाणु होते हैं। वायरस में रोटा वायरस और नॉरवॉक वायरस प्रमुख हैं। यदि इनसे संक्रमित भोजन का सेवन कर लिया जाए तो उल्टी, दस्त, पेट दर्द, कमजोरी और बुखार हो सकता है। गर्मी में लापरवाही बरतने से ये बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। इसलिए आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे- घर का बना ताजा भोजन करें, बासी या खुले में रखा खाना न खाएं और कटे फल, खुले में रखे स्नैक्स आदि से परहेज करें।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है। 

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