पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, वैसे-वैसे नेताओं के वादे और आरोप-प्रत्यारोप भी तेज़ होते जा रहे हैं। अब इस बार सियासी चर्चा का केंद्र बना है तेजस्वी यादव का 2.6 करोड़ सरकारी नौकरियों का वादा, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीधा निशाना साधा है।
अमित शाह ने तेजस्वी के इस वादे को झूठ और बेबुनियाद बताते हुए कहा कि अगर हर परिवार को सरकारी नौकरी देनी है, तो इसके लिए करीब 12 लाख करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि बिहार में लगभग 2.8 करोड़ परिवार हैं, जिनमें से 20 लाख लोगों को पहले ही सरकारी नौकरी मिल चुकी है। अब अगर शेष 2.6 करोड़ को भी नौकरी देनी है, तो तेजस्वी यादव को बताना चाहिए कि इतना पैसा आएगा कहां से।
शाह ने कहा कि अगर डी और सी ग्रेड की नौकरियों का भी हिसाब लगाया जाए, तो सिर्फ वेतन, भत्ता और पेंशन जोड़कर खर्च 12 लाख करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है, जबकि बिहार सरकार का सालाना बजट सिर्फ करीब 3.25 लाख करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि इतना बड़ा वादा करना बिहार की वित्तीय व्यवस्था को पूरी तरह चरमरा देने जैसा कदम है।
अमित शाह ने तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा कि यह वादा सिर्फ बिहार के युवाओं को गुमराह करने की कोशिश है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे उन नेताओं पर भरोसा करें जो जमीनी हकीकत के साथ बात करते हैं, न कि हवा में महल बनाते हैं।
तेजस्वी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। एक ओर आरजेडी नौकरियों के वादे से युवाओं को जोड़ने की कोशिश में है, तो वहीं बीजेपी इसे अव्यवहारिक और छलावा बता रही है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनाव में जनता इस वादे को भरोसेमंद मानती है या चुनावी जुमला।

