पटना। पटना से इस वक्त एक बड़ी राजनीतिक हलचल सामने आई है। कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीता रंजन ने दावा किया है कि 14 नवंबर को बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है, और यह सरकार राज्य में नौकरी और रोजगार देने वाली साबित होगी। उनके इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई गर्मी ला दी है।
रंजीता रंजन ने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। मौजूदा सरकार हर मोर्चे पर नाकाम रही है — चाहे बात हो रोजगार की, कानून व्यवस्था की या विकास की। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि “भाजपा सिर्फ बयानबाजी करती है, जनता को गुमराह करती है, लेकिन असली मुद्दों पर कुछ नहीं करती।”
उन्होंने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी समस्या आज ‘लॉ एंड ऑर्डर’ की है। हाल ही में मोकामा और सिवान में हुई घटनाएं इस बात का सबूत हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। रंजीता रंजन ने कहा कि भाजपा हमारे बयानों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है, लेकिन सच यही है कि लोग अब सुरक्षा और सम्मान के साथ जीना चाहते हैं।
सांसद ने आगे कहा कि बिहार के लोगों को अब नौकरी चाहिए, पलायन से मुक्ति चाहिए, रोजगार और परीक्षाओं में पारदर्शिता चाहिए — और इन सभी सवालों का जवाब भाजपा के पास नहीं है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा, “2014 में जब भाजपा सत्ता में आई थी, तब हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया गया था। अगर वो वादा पूरा हुआ होता तो अब तक 24 करोड़ नौकरियां दी जा चुकी होतीं। लेकिन आज भी बेरोजगारी चरम पर है। भाजपा ने बिहार और देश — दोनों को धोखा दिया है।”
रंजीता रंजन ने डबल इंजन की सरकार पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “केंद्र में पिछले 12 साल से भाजपा की सरकार है और बिहार में भी डबल इंजन की सरकार लंबे समय से है, लेकिन इसका फायदा जनता तक नहीं पहुंचा। ये सरकार सिर्फ अपने लोगों के लिए काम करती रही, जबकि आम नौजवान नौकरी के लिए भटकता रहा।”
उन्होंने भरोसा जताया कि इस बार जनता भाजपा को करारा जवाब देगी। 14 नवंबर को बनने वाली महागठबंधन की सरकार युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करेगी और बिहार को नई दिशा देगी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और उसके सहयोगी दल मिलकर रोजगार सृजन, शिक्षा सुधार और कानून व्यवस्था को अपनी प्राथमिकता बनाएंगे। अब वक्त आ गया है कि बिहार की जनता भाजपा को जवाब दे।”
रंजीता रंजन के इस बयान से यह साफ है कि महागठबंधन ने अपना चुनावी मोर्चा अब पूरी तरह खोल दिया है — और बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ी है।

