मध्य प्रदेश के खिलाड़ी आज अपने जज्बे, मेहनत और हौसलों के दम पर पूरी दुनिया में पहचान बना रहे हैं. कभी छतरपुर की क्रांति गौड़ महिला क्रिकेट में चमकती हैं तो कभी टी20 ब्लाइंड महिला वर्ल्ड कप में दुर्गा येवले देश को गौरवान्वित करती हैं. इसी कड़ी में अब रतलाम के दिव्यांग तैराक अब्दुल कादिर इंदौरी ने दुबई में आयोजित एशियन यूथ पैरा गेम्स में ऐसा प्रदर्शन किया है, जिसने पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है.
दुबई के पूल में गूंजा भारत का राष्ट्रगान
अब्दुल कादिर इंदौरी ने एशियन यूथ पैरा गेम्स में शानदार तैराकी करते हुए तीन गोल्ड और एक कांस्य पदक अपने नाम किए. उन्होंने 50 मीटर एस1 से 5 बैकस्ट्रोक, 100 मीटर फ्री स्टाइल और 50 मीटर फ्री स्टाइल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी काबिलियत साबित की. इसके अलावा 50 मीटर एस2 से 7 बटरफ्लाई स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर भारत की झोली में एक और पदक डाला.
हादसे ने छीने हाथ, हौसले नहीं
यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि अब्दुल कादिर इंदौरी ने भोपाल के एक दर्दनाक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दिए थे. उस हादसे ने उनकी जिंदगी जरूर बदल दी, लेकिन उनके सपनों और हौसलों को नहीं तोड़ पाया. कठिन हालात, लंबी मेहनत और अटूट जज्बे के दम पर अब्दुल ने खुद को फिर से खड़ा किया और दुबई में जीत का परचम लहराकर न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन कर दिया.
देशभर से मिल रही बधाइयां
अब्दुल की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर भारतीय खेल प्राधिकरण और पैरा कमेटी ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें बधाई दी है. खेल जगत से लेकर आम लोग तक अब्दुल के जज्बे को सलाम कर रहे हैं और उनकी कहानी आज हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी है.
हौसलों की जीत, पूरे भारत की शान
अब्दुल कादिर इंदौरी की यह सफलता सिर्फ पदकों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस हिम्मत की जीत है जो हर मुश्किल के बाद और मजबूत होकर सामने आती है. दुबई की इस जीत ने साबित कर दिया है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी हादसा सपनों को रोक नहीं सकता.

