बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां पूरी रफ्तार से चल रही हैं। इंडिया गठबंधन बेरोजगारी को सबसे अहम मुद्दा बनाकर जनता के बीच अपनी रणनीति रख रहा है, जबकि एनडीए महिला वोट बैंक के भरोसे चुनावी मोर्चा संभाले हुए है। प्रशांत किशोर बदलाव का दावा कर रहे हैं, और औवैसी जैसे नेता भी अपने वोट बैंक के साथ मैदान में हैं। ऐसे में बीजेपी और एनडीए की रणनीति की अग्निपरीक्षा बिहार में होने वाली है।
भारतीय जनता पार्टी के लिए महिला वोट बैंक हमेशा से निर्णायक रहा है। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना ने बीजेपी को बड़े अंतर से जीत दिलाई, और महाराष्ट्र में भी महिलाओं के लिए योजना लागू कर सफलता मिली। दिल्ली में महिलाओं को पेंशन का वादा करके बीजेपी ने 27 साल बाद सत्ता में वापसी की। झारखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में महिलाओं के लिए योजनाओं ने चुनाव परिणामों पर अहम प्रभाव डाला। यही पैटर्न बीजेपी बिहार में भी लागू करने जा रही है।
मोदी और नीतीश का रिकॉर्ड भी इस रणनीति को मजबूत करता है। देश और बिहार में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है। पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों ही महिला मतदाताओं में बेहद लोकप्रिय हैं। नीतीश कुमार ने सत्ता में आने के बाद महिलाओं के लिए शिक्षा, साइकिल और यूनिफॉर्म जैसी योजनाएं शुरू कीं, जिससे उनका वोट बैंक मजबूत हुआ। वहीं, शराबबंदी जैसी फैसलों ने भी महिलाओं का समर्थन उनके पक्ष में बढ़ाया।
महिला वोट बैंक और योजनाओं की रणनीति बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों को तय करेगी। इन नतीजों से आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी और अन्य दलों की रणनीतियां भी आकार लेंगी, जिनमें 2026 के पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल, और उसके बाद उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब चुनाव शामिल हैं।
बिहार में M फैक्टर की परीक्षा इस बार एनडीए के लिए निर्णायक साबित होने वाली है।

