बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोहनिया सीट से राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद सियासत में भूचाल आ गया है। इस फैसले ने चुनावी माहौल को गर्मा दिया है। बक्सर के सांसद और आरजेडी के वरिष्ठ नेता सुधाकर सिंह ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि यह कदम लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर सीधा हमला है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुधाकर सिंह ने कहा कि श्वेता सुमन मोहनिया क्षेत्र की स्थायी निवासी हैं और उनका जाति प्रमाण पत्र पूरी तरह वैध है। इसके बावजूद 22 अक्टूबर को Returning Officer ने राजनीतिक दबाव में आकर उनका नामांकन रद्द कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि बिना उचित जांच और सुनवाई के लिया गया यह फैसला प्रशासनिक निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है और लोकतंत्र की आत्मा को ठेस पहुंचाता है।
सुधाकर सिंह ने कहा कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया की खुली अनदेखी की गई है। सर्किल ऑफिसर, दुर्गावती की रिपोर्ट को नजरअंदाज कर दिया गया और न ही Scrutiny Committee का गठन किया गया, जो कि कानूनन जरूरी था। उन्होंने सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि Returning Officer ने “राजनीतिक लाभ” के लिए जल्दबाजी में यह निर्णय लिया, ताकि आरजेडी प्रत्याशी को चुनावी मैदान से बाहर किया जा सके।
राजद नेता ने साफ कहा कि यह सिर्फ एक उम्मीदवार की लड़ाई नहीं, बल्कि जनतंत्र के अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मामले को लेकर निर्वाचन आयोग से उच्चस्तरीय जांच की मांग करेगी, और जरूरत पड़ी तो न्यायालय तक जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी कि दलित, पिछड़े और वंचित समाज की आवाज़ को दबाने की कोशिश अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सुधाकर सिंह ने प्रेस वार्ता के अंत में कहा — “हम जनतंत्र को कमजोर नहीं होने देंगे। यह लड़ाई सच्चाई और न्याय की है। राजद हर कीमत पर लोकतंत्र की मर्यादा की रक्षा करेगा।”
मोहनिया सीट से नामांकन रद्द होने के बाद अब यह मुद्दा बिहार की राजनीति में नया तूफ़ान बन चुका है, और सबकी निगाहें अब निर्वाचन आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं।

