पटना। बिहार में नई सरकार बन चुकी है और एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने 18 नवंबर को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। अब बारी है विधानसभा के शीतकालीन सत्र की, जो 1 दिसंबर से शुरू होने वाला है। राजधानी पटना इस समय सुरक्षा के कड़े घेरे में है, क्योंकि नए सत्र के साथ राजनीतिक हलचल भी बढ़ने वाली है।
जेडीयू नेता नीरज कुमार ने बताया कि यह सत्र मुख्य तौर पर विधायी कामों और नव-निर्वाचित विधायकों की शपथ के लिए बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि अभी विषय सूची नहीं आई है, लेकिन जनता को उम्मीद है कि यह सत्र बेहद खास रहेगा। उधर बिहार सरकार के मंत्री दिलीप जायसवाल का कहना है कि सत्र की शुरुआत ही नए विधायकों की शपथ से होगी और उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। सरकार की प्राथमिकताएं साफ हैं — कानून का राज मजबूत करना और युवाओं को रोजगार देना।
नई सरकार के पहले शीतकालीन सत्र को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट मोड पर है। आमतौर पर ऐसे सत्रों के दौरान कई संगठन और राजनीतिक दल अपने मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं, इसलिए इस बार तैयारी और भी कड़ी की गई है।
इसी के तहत पटना में 1 दिसंबर से 5 दिसंबर तक बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई है। इसका मतलब है कि बिना अनुमति पाँच से ज़्यादा लोगों का एक जगह इकट्ठा होना, जुलूस निकालना, धरना देना या किसी तरह की आक्रामक गतिविधि पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। साथ ही फरसा, भाला, छुरा या किसी भी तरह के आग्नेयास्त्र लेकर घूमना सख़्त अपराध माना जाएगा।
इस तरह सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है, राजनीतिक माहौल गर्म है, और बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र कई अहम फैसलों का गवाह बनने जा रहा है।

