पटना। बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 5 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है और इस बार इतिहास रचा जाएगा, क्योंकि पहली बार पूरी कार्यवाही पूरी तरह पेपरलेस होगी। सभी विधायकों को टैबलेट दे दिए गए हैं, जिन पर सवाल पूछने, कार्यसूची पढ़ने, नोट्स बनाने और सदन की हर गतिविधि को समझने जैसे काम डिजिटल तरीके से होंगे। यह कदम विधानसभा की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी, तेज और आधुनिक बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
सत्र की शुरुआत नवनिर्वाचित विधायकों की शपथ से होगी, जिसका नेतृत्व आठ बार के विधायक और प्रोटेम स्पीकर नरेंद्र नारायण यादव करेंगे। 2 दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है, जिसमें भाजपा के वरिष्ठ विधायक प्रेम कुमार सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। इस बार 243 में से 202 सीटों पर NDA के प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पक्ष पूरी तरह मज़बूत है, जबकि महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों के साथ विपक्ष की भूमिका निभा रहा है। तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना जा चुका है और उनकी पहली बड़ी परीक्षा इसी सत्र में मानी जा रही है।
3 दिसंबर को राज्यपाल आगामी पाँच वर्षों की विकास रूपरेखा पेश करेंगे। 4 दिसंबर को धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी, जहाँ सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस लगभग तय है। 5 दिसंबर को द्वितीय अनुपूरक बजट और विनियोग विधेयक पर अंतिम बहस होगी, जिससे पूरे सत्र का समापन होगा।
उधर सुरक्षा को लेकर भी इस बार बेहद सख्ती बरती जा रही है। विधानसभा परिसर में BNSS की धारा 163 लागू कर दी गई है, जिसके तहत पाँच से अधिक लोगों के जुटने पर रोक है। सरकार इसे सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा बता रही है, जबकि विपक्ष इसे लोकतांत्रिक आवाज़ों पर रोक के तौर पर देख रहा है। कुल मिलाकर यह शीतकालीन सत्र तकनीकी, राजनीतिक और सुरक्षा—तीनों ही स्तरों पर बेहद खास होने वाला है।

