बिहार चुनाव 2025 में गरमाई सियासत — तीन दिन के दौरे पर आएंगे अमित शाह, NDA में सीट बंटवारे को लेकर बढ़ी हलचल

बिहार की राजनीति इन दिनों पूरी तरह चुनावी रंग में रंग चुकी है। विधानसभा चुनाव 2025 के ऐलान के बाद हर दल अपनी रणनीति को धार देने में जुट गया है। वहीं एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान के बीच अब खुद बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मैदान में उतरने जा रहे हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी है कि अमित शाह 16, 17 और 18 अक्टूबर को बिहार के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वे कई जिलों में चुनावी सभाएं करेंगे और पार्टी उम्मीदवारों के नामांकन कार्यक्रमों में शामिल होंगे।

शाह का यह दौरा पूरी तरह चुनावी रणनीति को धार देने पर केंद्रित बताया जा रहा है। वह एनडीए के उम्मीदवारों को जीत का मंत्र देंगे और बूथ स्तर की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह की मौजूदगी से बीजेपी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरेगा और सहयोगी दलों के बीच समन्वय भी मज़बूत होगा।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 15 से 18 अक्टूबर तक पूरे बिहार में एनडीए उम्मीदवारों का नामांकन कराया जाएगा। राज्य को कई हिस्सों में बांटा गया है ताकि हर जिले में नामांकन के दौरान एनडीए के वरिष्ठ नेता मौजूद रहें। इस दौरान देशभर से एक दर्जन से अधिक मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री और बड़े नेता बिहार पहुंचेंगे और चुनावी माहौल को गर्म करेंगे।

हालांकि सब कुछ सामान्य नहीं दिख रहा। सीट बंटवारे को लेकर एनडीए के अंदर नाराज़गी की खबरें भी सामने आ रही हैं। रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा महज़ छह सीटें मिलने से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। भले ही उन्होंने इस पर कोई खुला बयान नहीं दिया हो, लेकिन उनके सोशल मीडिया पोस्ट इशारा कर रहे हैं कि अंदरखाने सब ठीक नहीं चल रहा। इसी बीच सोमवार को पटना में होने वाली एनडीए की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को अचानक टाल दिया गया, जिससे राजनीतिक अटकलें और तेज़ हो गई हैं।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि सीट बंटवारे पर सहमति पहले ही बन चुकी है। उन्होंने कहा कि बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, एलजेपी (रामविलास) को 29 सीटें, और हमरालोसपा को 6-6 सीटें दी गई हैं। जायसवाल ने कहा कि अब वक्त नाराज़गी का नहीं, बल्कि एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने का है।

एनडीए का लक्ष्य साफ है — संगठन की ताकत और सरकार की उपलब्धियों के दम पर जनता के बीच जाना और बिहार की सत्ता को एक बार फिर अपने हाथों में बरकरार रखना।

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