बिहार की सियासत अब अपने सबसे दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है। कल से बिहार विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाएगा। चुनाव आयोग 10 अक्टूबर को पहले चरण की अधिसूचना जारी करेगा और इसी के साथ नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। लेकिन चुनाव की घंटी बजने से पहले ही दोनों बड़े गठबंधनों — NDA और INDIA (महागठबंधन) में सीट बंटवारे को लेकर घमासान मचा हुआ है।
पहले चरण में 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होना है। उम्मीदवारों के पास 17 अक्टूबर तक नामांकन का वक्त रहेगा और 18 अक्टूबर को उनके पर्चों की जांच होगी। 20 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। यानी अब हर पार्टी को उम्मीदवार तय करने और प्रचार शुरू करने के लिए वक्त बेहद सीमित है। दिलचस्प बात ये है कि इस बार 14 लाख नए वोटर पहली बार मतदान करेंगे, जबकि 14,000 से ज्यादा मतदाता 100 साल से ऊपर के हैं।
अब बात करें गठबंधनों की — तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मसला अभी तक सुलझ नहीं पाया है। सूत्रों के मुताबिक, राजद करीब 125 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है, जो पिछली बार से 19 सीटें कम हैं। कांग्रेस को 50 से 55 सीटें मिलने की उम्मीद है, जबकि वाम दलों को करीब 25 सीटें दी जा सकती हैं। लेकिन पेंच यहीं फंसा है — कांग्रेस चाहती है कि उसे 50 से ज्यादा सीटें मिलें, और दूसरी ओर वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने 51 सीटों की मांग कर दी है। यही वजह है कि महागठबंधन में इस वक्त खींचतान चरम पर है।
वहीं दूसरी तरफ NDA में भी सियासी गणित पेचीदा है। खबरों के मुताबिक, जेडीयू को 102, बीजेपी को 101, लोजपा को 22 से 25, हम को 7 से 9, और रालोसपा को 7 से 8 सीटें मिल सकती हैं। लेकिन इस फॉर्मूले पर भी सबकी नज़रें टिकी हैं, क्योंकि अंतिम फैसला अभी बाकी है। खासकर चिराग पासवान और जीतनराम मांझी की सीटों को लेकर सबसे ज़्यादा चर्चा है।
बताया जा रहा है कि सीट बंटवारे से नाखुश चिराग पासवान दिल्ली रवाना होने वाले थे, लेकिन बीजेपी ने नित्यानंद राय को उन्हें मनाने का जिम्मा दिया। नित्यानंद राय खुद उनके घर पहुंचे और कहा कि “चिराग नाराज़ नहीं हैं।” मगर अंदरखाने की कहानी कुछ और कह रही है — क्योंकि लोजपा लगातार अपने प्रभाव के मुताबिक ज़्यादा सीटों की मांग पर अड़ी है।
इधर जीतनराम मांझी ने तो अपनी नाराज़गी को कविता के अंदाज़ में बयां कर दिया। उन्होंने कहा, “हमने हमेशा एनडीए की मदद की है, फिर भी हमें बेइज्जत किया जा रहा है। 7 सीटों में से 4 जीते थे, इसलिए अगर 15 सीटें दी जाएं तो हम 7-8 जीतकर दिखा देंगे।” मांझी की इस नाराज़गी ने एनडीए खेमे में एक नई हलचल पैदा कर दी है।
इस सबके बीच पीएम मोदी की रैलियों की तैयारी भी जोरों पर है। बताया जा रहा है कि इस बार रैलियों में “25 से 30 नरेंद्र और नीतीश” का नया नारा सुनाई देगा — यानी ये चुनाव पूरी तरह मोदी-नीतीश की जोड़ी के चेहरे पर लड़ा जाएगा।
अब सारी नज़रें कल की अधिसूचना पर हैं। जैसे ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी, बिहार की सियासी ज़मीन पर घोषणाओं, नारों और आरोप-प्रत्यारोपों का तूफान उठने वाला है।
एक तरफ NDA एकजुटता दिखाने की कोशिश में है… तो दूसरी तरफ INDIA गठबंधन आपसी खींचतान में उलझा हुआ है।
और जनता बस देख रही है — कौन बनाएगा बिहार की गद्दी पर अपनी सरकार?

