NDA में सीट बंटवारे का ऐलान — चिराग की पार्टी झूमी खुशी से, मांझी बोले “यह आलाकमान का निर्णय”, विपक्ष ने साधा निशाना

Bihar NDA Seat Sharing: बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल अब पूरी तरह सियासी रंग में रंग चुका है। एनडीए में सीट शेयरिंग का फ़ॉर्मूला आखिरकार तय हो गया है — बीजेपी और जदयू को मिली हैं 101-101 सीटें, चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) को 29, जबकि जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के खाते में गईं 6-6 सीटें।

जैसे ही सीट बंटवारे का ऐलान हुआ, एनडीए के नेताओं के बयान भी एक-एक कर सामने आने लगे। सबसे पहले एलजेपी (आर) की सांसद शांभवी चौधरी ने कहा — “एनडीए एक ऐसा गठबंधन है जो हर परिस्थिति में अपने साथियों की बात सुनता है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान खुश हैं कि हमारी बातों को सम्मानपूर्वक सुना गया और हमें 29 सीटें दी गईं। हम एनडीए के मजबूत साथी हैं।”

वहीं, हम पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शांत लहजे में कहा — “हमें 6 सीटें मिली हैं, यह आलाकमान का निर्णय है और हम इसका स्वागत करते हैं। हमें कोई शिकायत नहीं है।”

इधर जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने चुटकी लेते हुए कहा — “अब बड़े भाई नहीं, हम जुड़वा भाई हो गए हैं! बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही रहेंगे, सीटें कम या ज़्यादा हों — ड्राइविंग सीट पर वही बैठेंगे।”

विपक्ष ने भी इस बंटवारे पर तंज कसने में देर नहीं की। बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने कहा — “हम इंतज़ार कर रहे थे एनडीए के सीट बंटवारे का, अब हम उसी हिसाब से काम करेंगे। एनडीए बीमार है, जबकि इंडिया गठबंधन पूरी तरह स्वस्थ है।”

राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने तो साफ कहा — “भाजपा धीरे-धीरे जदयू को खत्म कर रही है। पहले जदयू बड़े भाई की भूमिका में थी, अब उसे बराबरी पर ला दिया गया है। भाजपा और चिराग ने मिलकर 130 सीटें ले ली हैं — छोटे दलों को मिटाने की यही रणनीति है।”

वहीं भाजपा नेता संजय जायसवाल ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा — “हमारा गठबंधन पहले से ज़्यादा मजबूत है। सीटों का बंटवारा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ है और इस बार हम 200 से ज़्यादा सीटें जीतकर इतिहास रचेंगे। 14 नवंबर को एनडीए की ही सरकार बनेगी।”

बिहार की राजनीति अब और दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुकी है। एक तरफ एनडीए में सीटों की बंटवारे की खुशी है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन के भीतर अभी भी हलचल बाकी है। अब देखना होगा कि 6 और 11 नवंबर को जनता का डॉक्टर कौन बनता है — एनडीए या इंडिया गठबंधन?

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