भोपाल। मध्य प्रदेश में सहकारी सोसायटियों में हो रहे गबन और भ्रष्टाचार पर अब सीधा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का सख्त एक्शन शुरू हो गया है। भोपाल में सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने दो-टूक आदेश दिया कि अब सहकारी समितियों में गबन करने वाले किसी भी पदाधिकारी या कर्मचारी की खैर नहीं है। ऐसी किसी भी सोसायटी में शॉर्टेज या गबन पाए जाने पर आरोपी की अचल संपत्ति—मकान, प्लॉट या जमीन—सीधे कुर्क कर वसूली की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि सभी कर्मचारियों और पदाधिकारियों की संपत्ति का विवरण हर साल अनिवार्य रूप से लिया जाए, ताकि धोखाधड़ी की किसी भी संभावना को पहले ही खत्म किया जा सके। किसानों को गबन से बचाने के लिए चलाई जा रही “न्याय योजना” की सीएम ने खास तौर पर सराहना भी की।
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि प्रदेश के छह कमजोर जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों—जबलपुर, रीवा, सतना, ग्वालियर, दतिया और शिवपुरी—को मजबूत किया जाएगा। इसके लिए सरकार इन बैंकों को 50-50 करोड़ की अंशपूंजी देगी, यानी कुल 300 करोड़ रुपये सीधे इनके खाते में पहुंचेंगे, जिससे लाखों किसानों को राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में एक बड़ा और मजबूत सहकारी बैंक बनाने के निर्देश भी दिए, जिसमें सभी जिला सहकारी बैंकों को मिलाने के विधिक और वित्तीय पहलुओं पर विस्तार से विचार किया जाएगा। इसी दौरान जब बीज उत्पादन के “एमपी चीता” ब्रांड का जिक्र आया तो सीएम ने मजाक में कहा—“ये सहकारिता में जंगल का चीता कैसे घुस आया?” अधिकारियों ने समझाया कि यह गति और गुणवत्ता का प्रतीक है, जिस पर सीएम मुस्कुराते आगे बढ़े। माना जा रहा है कि इन सख्त कदमों से प्रदेश की सहकारी समितियों में पारदर्शिता बढ़ेगी और किसानों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।

