गोरखपुर। गोरखपुर की ठंडी रात में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अचानक रैन बसेरों का निरीक्षण करने पहुंचे और साफ संदेश दिया—सरकार हर जरूरतमंद को शीतलहर से बचाने और सम्मानजनक आश्रय देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि रैन बसेरों को पूरी क्षमता के साथ चलाया जा रहा है, और तहसीलों व नगर निकायों को कंबल, ऊनी वस्त्र और अलाव की व्यवस्था के लिए पर्याप्त धनराशि भी उपलब्ध कराई गई है। देर रात दो रैन बसेरों का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने मीडिया से बात की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसी भी जरूरतमंद को किसी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हर रैन बसेरे में पर्याप्त बिस्तर, कंबल और साफ-सफाई की व्यवस्था होना जरूरी है, और अगर किसी व्यक्ति के पास भोजन की व्यवस्था नहीं है तो उसे भोजन भी उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रेलवे स्टेशन के पास और झूलेलाल मंदिर के नजदीक बने रैन बसेरों में ठहरे लोगों से मुलाकात की, उनकी जरूरतें जानीं और खुद अपने हाथों से कंबल व भोजन वितरित किया। रैन बसेरे के बाहर मौजूद सैकड़ों जरूरतमंदों को भी उन्होंने कंबल और भोजन देकर आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सेवा के लिए पूरी जिम्मेदारी के साथ खड़ी है। जब सीएम योगी ने लोगों से पूछा कि कोई परेशानी तो नहीं, तो सभी ने संतोष व्यक्त किया। कई लोग भावुक हो उठे—किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था की जानकारी लेने खुद मुख्यमंत्री उनके सामने खड़े हैं।
मीडिया से बातचीत में सीएम योगी ने कहा कि भीषण शीतलहर के बीच शासन और प्रशासन पूरी तरह संवेदनशील है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कोई भी व्यक्ति फुटपाथ, प्लेटफॉर्म या सड़क पर खुले में न लेटे। यदि ऐसा कोई मिलता है तो तत्काल उसे रैन बसेरे पहुंचाया जाए और इस पूरी प्रक्रिया की लगातार निगरानी की जाए। उन्होंने बताया कि गोरखपुर में नगर निगम द्वारा 14 रैन बसेरों का संचालन किया जा रहा है, जहां 700 से 1000 लोग आराम से ठहर सकते हैं। जरूरतमंदों को ऊनी वस्त्र, कंबल और अलाव की व्यवस्था के लिए भी अलग से धनराशि दी गई है ताकि किसी को भी शीतलहर का सामना अकेले न करना पड़े।
निरीक्षण के दौरान महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह सहित प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी मौजूद रहे। सीएम योगी का यह दौरा न सिर्फ व्यवस्थाओं की पड़ताल था, बल्कि संवेदनशील प्रशासन का एक संदेश भी—कि सरकार का दरवाज़ा हमेशा उन लोगों के लिए खुला है जिन्हें सबसे ज्यादा ज़रूरत है।

