भोपाल/दिल्ली। दिल्ली स्थित AICC मुख्यालय में कांग्रेस ने सिंगरौली मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सिंगरौली में रहने वाले आदिवासियों और स्थानीय लोगों के साथ भारी अन्याय किया जा रहा है। कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ ‘एक पेड़ मां के नाम’ की बात करते हैं और दूसरी तरफ हजारों पेड़ काटने के लिए अडानी को सौंप दिए जाते हैं। पहले छत्तीसगढ़ के हसदेव जंगल को तबाह किया गया और अब मध्य प्रदेश की बारी है, जहां अडानी को खनन के लिए सुलियारी और धिरौली ब्लॉक दिए गए हैं।
दिल्ली में हुई इस संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी, तेलंगाना प्रभारी मीनाक्षी नटराजन, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, CWC सदस्य कमलेश्वर पटेल, CEC सदस्य ओंकार मरकाम, पूर्व मंत्री बाला बच्चन, पूर्व विधायक हिना कांवरे और सह प्रभारी रणविजय लोचाव मौजूद रहे।
कांग्रेस ने कहा कि सिंगरौली के सुलियारी क्षेत्र में अंडरग्राउंड माइनिंग और धिरौली में ओपन माइनिंग की मंजूरी दी गई है। सवाल उठाया गया कि क्या सरकार पर्यावरण को बर्बाद करना चाहती है और क्या आदिवासियों को उनके घरों से उजाड़ने की साजिश रची जा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र सरकार ने अडानी को कोल ब्लॉक परियोजना के लिए 2,672 हेक्टेयर जमीन दे दी, जिसके चलते करीब 6 लाख पेड़ काटे जा रहे हैं।
कांग्रेस ने इसे संस्थागत फ्रॉड बताते हुए कहा कि कागजों में सभी प्रक्रियाएं पूरी दिखाई गईं, लेकिन जमीन पर लोगों को उनके अधिकार नहीं मिले। खदान अडानी की है, संचालन अडानी का है और कोयले का उत्पादन भी अडानी ही करेगा। कांग्रेस का दावा है कि सरकार ने 204 करोड़ रुपए में अडानी को पूरा जंगल दे दिया, जबकि इस इलाके में मौजूद कोयले की कीमत 11 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सिंगरौली में भूमि अधिग्रहण कानून और 2013 के नियमों को दरकिनार किया गया। सामाजिक सर्वे में आदिवासियों के लिए अलग प्रक्रिया नहीं अपनाई गई और आज तक यह साफ नहीं किया गया कि किसे कितना मुआवजा मिला, किसकी कितनी जमीन गई और कौन वयस्क या नाबालिग है। परियोजना में कोल बियरिंग एरिया एक्ट का इस्तेमाल कर जबरन जमीन ली गई, जबकि न पेसा कानून का पालन हुआ और न ही ग्राम पंचायतों से अनुमति ली गई।
कांग्रेस ने कहा कि सिंगरौली पहले 5वीं अनुसूची में आता था, लेकिन अडानी को जमीन देने के लिए नियम बदल दिए गए। ट्राइबल एडवाइजरी कमेटी की बैठक तक नहीं बुलाई गई और वाइल्ड लाइफ से जुड़े नियमों में भी बदलाव किया गया। करीब 2500 हेक्टेयर जमीन में से केवल 554 हेक्टेयर का ही सामाजिक सर्वे हुआ, बाकी का कोई रिकॉर्ड पोर्टल पर मौजूद नहीं है। कांग्रेस का आरोप है कि जिनकी जमीन गई, उन्हें मुआवजा नहीं मिला और पैसा किराएदारों को चला गया, जिस पर हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया है।

