बिहार चुनाव के बाद उठ रहे सवालों के बीच भागलपुर के पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी अजीत शर्मा ने चुनाव आयोग को एक बड़ा पत्र लिखकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। अजीत शर्मा का कहना है कि भारतीय लोकतंत्र में भरोसा वापस लाने और चुनाव प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए ईवीएम की जगह बैलेट पेपर को फिर से लागू किया जाना चाहिए।
अपने पत्र में अजीत शर्मा लिखते हैं कि हाल के वर्षों में ईवीएम को लेकर लगातार त्रुटियां और विवाद सामने आए हैं, जिससे चुनाव की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ गए हैं। उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव और 2025 बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि इन चुनावों में ईवीएम से जुड़ी शिकायतें आम बात रहीं।
उन्होंने भागलपुर विधानसभा क्षेत्र का एक सीधा उदाहरण देते हुए कहा कि मतगणना के दिन उन्होंने खुद देखा कि कई बूथों की कंट्रोल यूनिट पर लिखे नंबर फॉर्म-17बी में दर्ज नंबरों से मेल ही नहीं खा रहे थे। काउंटिंग एजेंटों ने आपत्ति की तो मतगणना लगभग आधे घंटे के लिए रोक दी गई, लेकिन फिर भी गिनती को जबरदस्ती आगे बढ़ा दिया गया। अजीत शर्मा का कहना है कि इस तरह की घटनाएं यह साबित करती हैं कि मतदान से लेकर गिनती तक प्रक्रिया पूरी तरह निष्पक्ष नहीं रही।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष कई बार ईवीएम में गड़बड़ी, वोटों की गिनती में असंगति और सुरक्षा खामियों की बात उठा चुका है। विशेषज्ञों की कई रिपोर्टों में भी ईवीएम की तकनीकी कमियों, संभावित हैकिंग और वीवीपीएटी सत्यापन की कमजोरियों का जिक्र है। यहां तक कि 2024 में पोस्टल बैलेट की गिनती को प्राथमिकता न देने की शिकायतें भी बार-बार सामने आई थीं।
अजीत शर्मा का कहना है कि बैलेट पेपर में वोट डालते समय मतदाता अपने वोट को खुद देख सकता है और इसमें तकनीकी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं होती। उनका तर्क है कि अगर लाखों लोग ईवीएम पर शक जता रहे हैं, तो चुनाव आयोग को यह विचार जरूर करना चाहिए कि क्या देश को फिर से बैलेट पेपर प्रणाली पर लौट जाना चाहिए।
उनके इस पत्र ने चुनाव आयोग और ईवीएम प्रणाली को लेकर चल रही बहस को एक बार फिर गर्म कर दिया है।

