पटना। NDA Manifesto: बिहार में चुनावी सरगर्मी चरम पर है, और इसी बीच एनडीए ने आज जारी कर दिया है अपना बहुचर्चित घोषणापत्र — “संकल्प पत्र”, जिसमें रोजगार, विकास और सशक्तिकरण की झलक साफ दिखाई दे रही है।
31 अक्टूबर को पटना में आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और चिराग पासवान समेत एनडीए के तमाम दिग्गज नेता मौजूद रहे। इस घोषणा पत्र का सबसे बड़ा वादा — बिहार के युवाओं के लिए एक करोड़ नौकरियां।
एनडीए ने कहा है कि हर युवा को मिलेगा रोजगार और हर परिवार को मिलेगा विकास का अवसर। महिलाओं के लिए “मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना” लाई जाएगी, जिसके तहत दो लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलेगी, ताकि हर महिला आत्मनिर्भर बन सके। साथ ही, एनडीए का बड़ा लक्ष्य — एक करोड़ ‘लखपति दीदी’ तैयार करने का।
अति पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए दस लाख रुपये की आर्थिक सहायता योजना का ऐलान किया गया है, साथ ही एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाएगी जो सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर जातियों के विकास के लिए ठोस सुझाव देगी।
किसानों के लिए भी घोषणापत्र में बड़ी खुशखबरी है — एनडीए ने “कर्पूरी ठाकुर किसान सम्मान निधि” की शुरुआत का वादा किया है, जिसके तहत हर किसान को हर साल नौ हजार रुपये का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर में एक लाख करोड़ का निवेश और हर पंचायत स्तर पर एमएसपी पर फसल खरीद का भरोसा दिया गया है।
मत्स्य और दुग्ध उत्पादन को दोगुना करने की योजना के तहत हर प्रखंड में प्रोसेसिंग सेंटर खोले जाएंगे, ताकि किसान और मत्स्यपालक दोनों आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें।
घोषणापत्र में बिहार की कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी बड़ा फोकस है। सात नए एक्सप्रेसवे, 3600 किलोमीटर रेल ट्रैक का आधुनिकीकरण, चार नए शहरों में मेट्रो सेवा और न्यू पटना को “ग्रीन फील्ड सिटी” के रूप में विकसित करने का वादा किया गया है।
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को भी सहेजने का ऐलान किया गया है — मां जानकी की जन्मभूमि को “सीतापुरम” के रूप में विश्वस्तरीय आध्यात्मिक नगरी बनाया जाएगा। वहीं, दरभंगा, पूर्णिया और भागलपुर को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की सौगात देने का वादा भी इस संकल्प पत्र में शामिल है।
एनडीए का कहना है — यह घोषणापत्र सिर्फ वादों का नहीं, बल्कि “विकसित बिहार” की दिशा में एक ठोस संकल्प है।
अब देखना ये होगा कि क्या ये वादे बिहार के मतदाताओं का दिल जीत पाएंगे — या मैदान में कोई और बाज़ी पलट देगा।

