लखनऊ में प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय ’विश्व एकता एवं विश्वास के लिए ध्यान’ समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भाग लेते हुए राजयोग के माध्यम से आध्यात्मिक चेतना को विकसित करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्वास वहीं टिकता है, जहाँ मन शांत हो, विचार स्वस्थ हों और भावनाएँ शुद्ध हों। यही शांति और स्थिरता समाज में विश्व शांति और विश्व एकता की नींव रखती है। राष्ट्रपति मुर्मु ने इस बात पर जोर दिया कि सशक्त आत्मा ही विश्व एकता की संकल्पना को सच कर सकती है और आध्यात्मिक जागृति ही व्यक्ति और समाज दोनों को दिशा देती है।
समारोह में “ओम शांति” के साथ अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन सभ्यता सदियों से वसुधैव कुटुम्बकम् — यानी पूरा विश्व ही एक परिवार है — इस महान विचार को दुनिया तक पहुँचाती रही है। आज जब दुनिया अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, ऐसे समय में यह मूल विचार और भी अधिक प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि योग, ध्यान और मूल्य-आधारित शिक्षाओं को बढ़ावा देकर भारत सरकार भी समाज को अधिक समावेशी और शांतिपूर्ण बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही है।
राष्ट्रपति ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मूल्य-आधारित शिक्षा और जीवन पोषण को शामिल करना इसी सोच का हिस्सा है। उन्होंने मिशन लाइफ अभियान, पर्यावरण जागरूकता, महिला सम्मान, आत्मनिर्भरता और सामाजिक समावेश के लिए चल रही राष्ट्रीय योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सब विश्व को बेहतर और अधिक मानवीय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास हैं। उन्होंने जी-20 समिट के थीम ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि मानवता का भविष्य तभी सुरक्षित है जब संवाद, विश्वास और आध्यात्मिक चेतना को साथ लेकर आगे बढ़ा जाए।
उन्होंने कहा कि तकनीक और विज्ञान ने भले ही मानव को अत्यधिक विकसित बना दिया हो, लेकिन इसके साथ तनाव, अकेलापन और असुरक्षा भी बढ़ी है। ऐसे समय में आवश्यक है कि हम बाहरी दुनिया के साथ-साथ अपने अंदर की यात्रा भी करें। उन्होंने कहा कि आनंद किसी बाहरी वस्तु में नहीं बल्कि हमारे भीतर है, और जब हम स्वयं से संवाद करते हैं तो यही सत्य अनुभव होता है। जब मन शांत और विचार शुद्ध होते हैं, तब प्रेम, भाईचारा, करुणा और एकता स्वतः जीवन में उतर आते हैं।
राष्ट्रपति ने ब्रह्मकुमारीज संस्था द्वारा विश्व शांति, मानवीय मूल्य, नारी शक्ति, आत्मिक जागरण और शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना की और सभी से आह्वान किया कि भीतर की शांति को जागृत करें, विश्वास को अपने विचारों में बसाएँ और एकता को अपने कर्मों में लाएँ ताकि एक शांतिपूर्ण और विश्वासपूर्ण विश्व का निर्माण हो सके।
कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी संबोधित करते हुए कहा कि ब्रह्मकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय मानव चेतना में प्रकाश जगाकर समाज को अज्ञान, तनाव और अविश्वास से बाहर निकालने का अद्भुत कार्य कर रहा है। यह संस्था 137 देशों में शांति, प्रेम, योग और ज्ञान का प्रकाश फैलाकर वैश्विक आध्यात्मिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर रही है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया अविश्वास, हिंसा और तनाव से भरे दौर से गुजर रही है, और ऐसे समय में राजयोग ध्यान व्यक्ति को आत्मदर्शन और आत्मविकास की राह पर ले जाकर उसकी भावनाओं, विचारों और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाता है, जिसका प्रभाव पूरे समाज पर गहराई से पड़ता है।
यह पूरा आयोजन एक बेहतर, शांत और विश्वासपूर्ण विश्व बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में उभरकर सामने आया है।

