ग्वालियर। IAS संतोष वर्मा के ‘ब्राह्मण बेटियों’ वाले बयान ने पूरे प्रदेश में बवाल खड़ा कर दिया है। ग्वालियर में सवर्ण समाज का गुस्सा बुधवार को फूट पड़ा, जब रूपसिंह स्टेडियम में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए और हाथों में फरसा लेकर एसपी ऑफिस की ओर कूच कर गए। एडवोकेट अनिल मिश्रा के नेतृत्व में जुटी भारी भीड़ ने ऑफिस पर पहुंचकर धरना शुरू कर दिया और IAS संतोष वर्मा के खिलाफ FIR और गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गई। स्थिति को देखते हुए इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
इस बीच केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने भी बयान को आपत्तिजनक बताया और सोशल मीडिया पर लिखा कि एक वरिष्ठ अधिकारी का ऐसा जातिगत और स्त्री विरोधी बयान समाज को तोड़ने वाली मानसिकता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि वो खुद ब्राह्मण हैं और उनकी परंपरा सम्मान सिखाती है, अपमान नहीं। देश की बेटियों को ‘दान’ की वस्तु बताने वाली सोच निंदनीय है और सरकार ऐसे मानसिक दिवालियेपन को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी।
विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब 23 नवंबर को अजाक्स संगठन के अधिवेशन में IAS संतोष वर्मा ने मंच से कहा था कि “जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।” बयान के सामने आते ही इसे लेकर भारी विरोध शुरू हो गया।
विवाद बढ़ने के बाद IAS संतोष वर्मा सामने आए और सफाई देते हुए कहा कि उनका बयान तोड़-मरोड़कर वायरल किया गया है। 27 मिनट के भाषण में से सिर्फ 9 सेकंड को जानबूझकर फैलाया गया। उन्होंने कहा कि यदि ब्राह्मण समाज को ठेस पहुंची है तो वे माफी मांगते हैं। उन्होंने दावा किया कि असली और नकली अजाक्स की लड़ाई में यह विवाद खड़ा किया गया है। संतोष वर्मा ने बताया कि उनकी खुद की बेटी दूसरे समाज में ब्याही है और उन्होंने ‘दान’ शब्द नहीं, ‘कन्यादान’ शब्द का इस्तेमाल किया था। उनका कहना है कि वे सनातनी हैं और हमेशा पूजा-पाठ करते हैं, इसलिए समाज को बांटने का उनका कोई इरादा नहीं था।
बयान, विरोध और सफाई—इन सबके बीच ग्वालियर का माहौल फिलहाल पूरी तरह गर्म है और सवर्ण समाज ने साफ कर दिया है कि जब तक कार्रवाई नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

