भोपाल। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक ऐसा बयान दिया जिसने सियासी गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी। उमा भारती ने साफ कहा कि उन्हें खुशी है कि हिंदू राष्ट्र और हिंदू एकता की बात अब खुलकर कही जा रही है और धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसे लोग इसे आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है… और इसे हर किसी को स्वीकार करना होगा, क्योंकि सनातन धर्म इस भूमि की मूल पहचान है। उमा भारती ने कहा कि जब इस देश में इस्लाम, जैन, बौद्ध या ईसाई धर्म अस्तित्व में नहीं थे, तब भी सनातन था, और हिंदू धर्म ने ही सबको स्वीकार किया, किसी की आस्था का विरोध नहीं किया। उनका कहना था कि हिंदू होना ही विविधता में एकता का प्रतीक है। भारत कभी हिंदू स्टेट नहीं था और न ही होगा, लेकिन हिंदू समाज में एकता जाति-पांति के दायरे से बाहर होनी चाहिए, क्योंकि इतिहास में कई समस्याएं इसी विभाजन के कारण खड़ी हुईं।
उमा भारती ने कहा कि हिंदू एकता का सबसे बड़ा आधार आर्थिक समानता है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकारी और निजी स्कूल में फर्क क्यों है, सरकारी अस्पताल और प्राइवेट अस्पताल में इतनी खाई क्यों है? उनका कहना था कि सत्ता, शासन और प्रशासन में सबकी बराबर भागीदारी होनी चाहिए। आरक्षण को उन्होंने संवैधानिक मजबूरी बताया, लेकिन कहा कि आर्थिक असमानता को खत्म करना जरूरी है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को उन्होंने इस दिशा में असरदार बताया।
इंटरकास्ट मैरिज पर उमा भारती ने खुलकर समर्थन दिया और कहा कि हिंदू एकता को मजबूत करने के लिए अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके घर में भी ऐसे विवाह हुए हैं और इससे समाज में बराबरी की भावना पैदा होती है। गाय संरक्षण पर बोलते हुए उमा भारती ने कहा कि जब तक किसान आगे नहीं आएंगे, गाय की सुरक्षा संभव नहीं। शिवराज सरकार के दौरान बनाई गई नीतियों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी अब मुख्यमंत्री मोहन यादव की है। उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण और आर्थिक आधार पर आरक्षण के मॉडल पर भी विचार करने की जरूरत बताई।
राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उमा भारती बोलीं—“जिनेऊ पहनने का नाटक तो करते ही हैं, अगर गाय का मुद्दा बड़ा हुआ तो गोबर की टीका लगाकर जेब में गौमूत्र लेकर घूमेंगे… इनका नाटक करने में कोई जवाब नहीं।” भ्रष्टाचार, सड़क निर्माण और गायों की मौत पर भी उन्होंने सरकार को सतर्क करने की बात कही। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर नदियों, पहाड़ों और पर्यावरण का विनाश नहीं होना चाहिए। दो साल पूरे कर रही मोहन सरकार के सामने उन्होंने तीन बड़ी चुनौतियां गिनाईं—निवेश को जमीन पर उतारना, शराबबंदी को लेकर ठोस कदम उठाना, और भ्रष्टाचार पर मजबूत नियंत्रण।

