तमिलनाडु के महाबलीपुरम के शांत से गांव पट्टीकाडु में आज सुबह ऐसा नज़ारा दिखा जिसने हर किसी को भावुक कर दिया। 33 फीट ऊंचा, 210 मीट्रिक टन वजनी और लगभग 3 करोड़ की लागत से तैयार भारत का सबसे विशाल शिवलिंग जब गांव की सीमा पार करने लगा, पूरा गांव जैसे अपने दिल का टुकड़ा विदा कर रहा हो। यह वही शिवलिंग है, जो जल्द ही पूर्वी चंपारण के चकिया में बन रहे विराट रामायण मंदिर की आत्मा बनने वाला है। दस साल की सतत मेहनत, तपस्या और कौशल से शिल्पकार लोकनाथ और उनकी टीम ने इस शिवलिंग को आकार दिया। पत्थर पर पड़ी हर चोट में उनकी आस्था दिखती है, हर मोड़ में भक्ति की चमक। निर्माण से जुड़े विनायक वेंकटरमण का कहना है कि यह सिर्फ शिवलिंग नहीं, दस साल की साधना और समर्पण का परिणाम है।
गांव में आज सुबह शिवलिंग के प्रस्थान से पहले विशेष पूजा हुई, ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच ऐसा माहौल बना मानो किसी अपने को यात्रा पर विदा किया जा रहा हो। इसके बाद शिवलिंग को 96 चक्कों वाले विशाल ट्रांसपोर्टर पर रखा गया, और इसके साथ शुरू हुई 25 दिनों की अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा। यह शिवलिंग अब देश भर की दुआओं और श्रद्धा को अपने साथ लिए पूर्वी चंपारण की ओर बढ़ रहा है, जहां जनवरी-फरवरी में इसकी भव्य स्थापना की तैयारी की जा रही है।
भारत के किसी भी मंदिर में स्थापित होने वाला यह सबसे बड़ा शिवलिंग है, और इसकी यात्रा के साथ इतिहास एक नए अध्याय की ओर बढ़ चुका है। पूरा देश आज इस दिव्य क्षण का साक्षी बन रहा है और हर भक्त के मन में एक ही आवाज गूंज रही है — हर-हर महादेव।

