पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है, और इसी बीच NDA ने सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान कर दिया है। लेकिन इस ऐलान के बाद से ही बिहार की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। सबसे बड़ी बात — इस बार जेडीयू और बीजेपी दोनों को बराबर सीटें मिली हैं, यानी 101-101। वहीं, चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) को 29 सीटें दी गई हैं। लेकिन हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक जनता दल को सिर्फ 6-6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। और यहीं से शुरू हुआ सियासी तूफ़ान।
2020 के चुनावों में जेडीयू बड़ी पार्टी की भूमिका में थी, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। इस बार बीजेपी ने बराबरी कर ली है और गठबंधन में निर्णायक भूमिका में दिख रही है। सबसे ज़्यादा असंतोष जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की तरफ से सामने आया है। मांझी ने कहा — “हमारी अहमियत को कम आंका गया है, और इसका असर NDA पर पड़ेगा।” शुरुआत में उन्होंने कहा था कि वो संतुष्ट हैं, मगर कुछ ही घंटों में उनका तेवर पूरी तरह बदल गया।
वहीं, RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक पोस्ट लिखा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से माफी मांगते हुए कहा — “मैं जानता हूं, आज कई घरों में खाना नहीं बना होगा। सीटों की संख्या आपकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी, लेकिन कुछ फैसले परिस्थितियों के दबाव में लेने पड़ते हैं। वक्त बताएगा कि यह सही था या नहीं।” कुशवाहा का यह बयान कार्यकर्ताओं में गहराए असंतोष को साफ दिखा गया।
बीजेपी की ओर से हालांकि सबकुछ “ठीक” बताया जा रहा है। बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा — “NDA पूरी एकजुटता के साथ मैदान में है। हम पांच पांडव हैं और जीत निश्चित है।” उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भी कहा कि सीट बंटवारे को लेकर पूरी सहमति बन गई है, और अब उम्मीदवारों की सूची पर चर्चा जारी है।
लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मांझी और कुशवाहा के बयान NDA के भीतर गहरी खींचतान की ओर इशारा कर रहे हैं। अगर समय रहते इस नाराज़गी को शांत नहीं किया गया, तो यह अंदरूनी असंतोष चुनावी रणनीति पर भारी पड़ सकता है।
अब जब सीटों का फॉर्मूला तय हो गया है, सभी की नज़रें प्रत्याशियों की सूची पर टिकी हैं। कई सीटों पर दावेदारों की लंबी कतार है, और अंदरूनी मतभेद को देखते हुए टिकट वितरण NDA के लिए एक और मुश्किल इम्तिहान साबित हो सकता है।
बिहार की सियासत में अब सवाल सिर्फ इतना है — क्या बीजेपी इस गठबंधन को संभाल पाएगी, या सीट शेयरिंग NDA के लिए चुनाव से पहले का सिरदर्द बन जाएगी?

