जबलपुर। मध्यप्रदेश सिविल जज जूनियर डिवीजन भर्ती परीक्षा 2022 को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला सामने आया है। कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि SC और ST अभ्यर्थियों के चयन पर दोबारा से विचार किया जाए। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने “एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस” की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है।
दरअसल, 199 पदों की इस भर्ती में बड़ी संख्या में बैकलॉग के पद शामिल थे—अनारक्षित वर्ग में 17, SC में 11, ST में 109 और OBC में 1 बैकलॉग पद मौजूद थे। मेन्स और इंटरव्यू के बाद जो 89 अभ्यर्थी अंतिम रूप से चयनित हुए, उसमें OBC वर्ग के 15 उम्मीदवार तो शामिल थे, लेकिन SC वर्ग के केवल 3 और ST वर्ग का एक भी अभ्यर्थी चयनित नहीं हो सका। इतनी बड़ी बैकलॉग वैकेंसी के बावजूद इतना कम प्रतिनिधित्व होने पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाए थे और कहा था कि यह आरक्षण व्यवस्था के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।
याचिका में चयन प्रक्रिया के साथ-साथ नियम 194 में किए गए संशोधन को भी असंवैधानिक बताया गया। कोर्ट ने मामले में अंतिम निर्णय सुरक्षित रखते हुए फिलहाल एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है—SC-ST अभ्यर्थियों के चयन पर पुनर्विचार किया जाए और जो भी योग्य पाए जाएं, उन्हें नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाए।
यह फैसला न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया पर असर डालेगा, बल्कि आगे आने वाली सभी भर्तियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है।

